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४० जैनदर्शन में कारण-कार्य व्यवस्था : एक समन्वयात्मक दृष्टिकोण
__ इस प्रकार जीव और पुद्गल एक-दूसरे के निमित्त कारण है। अत: जब जीव में कार्य होता है तो कदाचित् पुद्गल निमित्त कारण और जीव स्वयं नैमित्तिक बनता है तथा पुद्गल में कार्य की स्थिति में कदाचित् जीव निमित्त और पुद्गल नैमित्तिक होता है।
षड्द्रव्यों की कार्य कारणता सिद्ध होने पर भी जैन दर्शन में यह भी बलपूर्वक प्रतिपादित है कि सब द्रव्य अपने ही स्वरूप में परिणमन करते हैं, कोई भी द्रव्य दूसरा द्रव्य नहीं बन जाता है। धर्मास्तिकाय आदि द्रव्यों में परिणमन के पश्चात् भी ये द्रव्य अपने स्वरूप का त्याग नहीं करते तथा धर्मास्तिकाय आदि द्रव्य रूप ही रहते हैं। दूसरे शब्दों में इसे ऐसा भी कहा जा सकता है कि जीव द्रव्य कभी पुद्गल नहीं बन सकता तथा पुद्गल द्रव्य कभी जीव नहीं बन सकता। इसी प्रकार एक द्रव्य दूसरे द्रव्य में परिणमित नहीं होता है।
षड्दव्य में घटित कार्य का स्वरूप
षड् द्रव्यों को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है- जीव और अजीव। जीवास्तिकाय जीव द्रव्य है तथा शेष पाँच द्रव्य धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, काल एवं पुद्गल अजीव द्रव्य हैं। संसार के समस्त कार्य जीव और अजीव में ही घटित होते हैं। जीव दो प्रकार के हैं- शुद्ध और अशुद्ध अथवा सिद्ध और संसारी। आठ कों से मुक्त जीव शुद्ध या सिद्ध कहलाते हैं तथा कर्मसहित जीव अशुद्ध या संसारी कहे जाते हैं। सिद्ध जीवों में ज्ञान, दर्शन आदि गुणों की पर्याय स्वत: परिवर्तित होती रहती है, इसे आगमों में विस्रसा परिणमन कहा गया है। इस कार्य में किसी अतिरिक्त शक्ति या ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती। स्वाभाविक रूप से उनके ज्ञान, दर्शन आदि गुणों की पर्याय बदलती रहती है। किन्तु अशुद्ध या संसारी जीवों के कार्य दो प्रकार के होते हैं- १. विनसा परिणत और २. प्रयोग परिणत। विस्रसा का अर्थ होता है-स्वाभाविक या स्वतः होने वाला। इसमें अतिरिक्त शक्ति, ऊर्जा या प्रयत्न की आवश्यकता नहीं होती। उदाहरण के लिए शरीर में श्वासोच्छ्वास की क्रिया रूप कार्य का होना, धमनियों एवं कोशिकाओं में रक्त का दौड़ना, भोजन का पचना आदि। प्रयोग परिणत कार्य वे हैं जिनमें प्रयत्न या अतिरिक्त शक्ति की आवश्यकता होती है। जैसे-जीव का अत्यधिक क्रोधित होना, किसी का सहयोग करना, प्रेरणा करना, स्नान करना आदि।
जैन दर्शन में सांसारिक जीवों को इन्द्रियों के आधार पर पाँच भागों में विभक्त किया गया है
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