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ऋषिभाषित का दार्शनिक अध्ययन
89 रज्जूत्कलवादियों का प्रश्न है, वे आत्मा-अकर्तावादी सांख्यों की अवधारणा को ही प्रस्तुत करते हैं, किन्तु सर्वोत्कलवाद हमें शून्यवाद का ही हमें पूर्वरूप लगता है। उसमें यह प्रश्न उठाया गया है कि सर्वोत्कल किसे कहते हैं, उसके उत्तर में कहा गया है कि "सर्वोत्कलवाद उसे कहते हैं, जो यह मानता है कि समस्त पदार्थ, जो उत्पन्न होते हैं वे तत्त्व नहीं है।" सर्वथा सब प्रकार से सर्वकालों में उनका अस्तित्व नहीं है। सभी उच्छेद स्वभाव वाले हैं।५७ इसका तात्पर्य यह है कि कोई भी नित्य शाश्वत और सर्वकालिक तत्त्व की सत्ता नहीं। वस्तुतः यह सर्वोच्छेदवाद अर्थात् समस्त पदार्थों को उच्छेद स्वभाव वाला मानना निरपेक्ष-अनित्यतावाद और उसके ही दार्शनिक रूप शून्यवाद का पूर्वरूप है। यह सत्य है कि बौद्धों का जो क्षणिकवाद है, उसी से शून्यवाद का विकास हुआ है और बौद्धों के इस क्षणिकवाद के मूल में भी उच्छेदवाद का तत्त्व समाया हुआ है। यद्यपि स्वयं बुद्ध अपने को उच्छेदवादी नहीं कहते थे-उनका क्षणिकवाद और किसी नित्य सत्ता की अस्वीकृति उन्हें उच्छेदवादियों के निकट तो बैठा ही देती है। ऋषिभाषित इसी उच्छेदवादी शून्यवाद का विवेचन सर्वोत्कलवाद के रूप में करता है। स्कन्धवाद
यद्यपि बौद्ध परंपरा में जिस स्कन्धवाद का विवेचन हमें उपलब्ध होता है वह मुख्यरूप से चेतनतत्त्व या व्यक्ति की व्याख्या के रूप में हैं। उसमें व्यक्तित्व को पंचस्कन्धों का समूह बताया गया है। वे पंचस्कन्ध निम्न है।५८
1- रूप 2- वेदना 3- संज्ञा 4- संस्कार 5- विज्ञान (चेतना)
ऋषिभाषित में इस प्रकार के स्कन्धवाद का विवेचन तो हमें उपलब्ध नहीं होता है किन्तु उसमें हमें रज्जोत्क्लवाद की चर्चा करते हए यह बताया गया है कि "जिस प्रकार रज्जू तंतुओं का समुदाय मात्र है उसी प्रकार यह जीव पंचमहाभूतों का स्कन्ध मात्र है।५९" इस पंचमहाभूत रूप स्कन्ध का विनाश होने पर संसार परंपरा का
57. से किं तं सव्वुक्कले? सव्वुक्कले णाणं जे णं सव्वतो
सव्वसंभवा भावा णो तच्चं, सव्वतो सव्वहा सव्वकालं च णत्थि" ति सव्वच्छेदं वदति। से तं सव्वुक्कले।
-'इसिभासियाई' 20/5 58. "भारतीय दर्शन" दत्त एवं चटर्जी, पृ. 10 59. से किं तं रज्जुक्कले? रज्जुक्कले णाम जे णं रज्जुदिट्ठन्तेणं समुदयमेत पण्णवणाए पंचमहब्भूतखन्धमत्ता भिधाणाई संसारसंसतिवोच्छेयं वदति। से तं रज्जुक्कले।
-'इसिभासियाई 202 गद्यभाग Jain Education International For Private & Personal Use Only
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