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________________ डॉ. साध्वी प्रमोदकुमारीजी १४. बाहुक ऋषिभाषित का चौदहवाँ अध्ययन बाहुक से संबंधित है। जैन परंपरा में ऋषिभाषित के अतिरिक्त इनका उल्लेख सूत्रकृतांग और सूत्रकृतांग की चूर्णि में भी उपलब्ध होता है। सूत्रकृतांग में असितदेवल, पाराशर, नारायण, बाहुक, नमी आदि ऋषियों का उल्लेख प्राप्त होता है। किन्तु बाहुक के संबंध में यह भी सूचना प्राप्त होती है कि इन्होंने सचित्त वस्तुओं एवं जल का उपभोग करते हुए भी मोक्ष को प्राप्त किया था। सूत्रकृतांगचूर्णि भी बाहुक के संबंध में यही विचार व्यक्त करती है। स्थानांग में वर्णित प्रश्नव्याकरण की दस दशाओं में भी इनका उल्लेख है, किन्तु आज यह अध्ययन उपलब्ध नहीं है। उपर्युक्त सभी ग्रंथ इनके जीवनवृत्त के संबंध में कोई प्रकाश नहीं डालते हैं। बौद्ध परंपरा में स्पष्टरूप से 'बाहुक' नाम से कोई वर्णन उपलब्ध नहीं होता है। किन्तु एक वाह्नीक नामक व्यक्ति का उल्लेख हुआ है, जो बुद्ध के शिष्य अनुयायी के रूप में उल्लिखित है। जहाँ तक हिन्दू परम्परा का प्रश्न है महाभारत में ये वृष्णि-वीर के रूप में उल्लिखित हुए हैं। राजा नल का भी एक नाम बाहुक बताया गया है। वैदिक परंपरा में बाहुवक्त का उल्लेख हुआ है, जो कि ऋग्वेद के सूक्त के रचयिता थे। किन्तु जहाँ तक ऋषिभाषित के बाहुक से इनकी समानता का प्रश्न है इनमें कोई साम्यता दृष्टिगोचर नही होती है। ऋषिभाषित में बाहुक के उपदेशों का मुख्य प्रतिपाद्य विषय है युक्त और अयुक्त। आगे वे स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि एक नृप और श्रेष्ठि के लिए अपने प्रदर्शन की आवश्यकता नहीं होती,५ वह स्वयं ही पहचाना जाता है। ठीक उसी प्रकार साधक की बाह्य साधना आंतरिक शुद्धता से युक्त होकर ही फलवती होती है। इस प्रकार की साधना साधक को मुक्ति की ओर ले जाती है। 79. सूत्रकृतांग, 1/3/4/2 80. सूत्रकृतांगचूर्णि, पृ. 121 81. पालि प्रापर नेम्स-जिल्द 2 पृ. 281, 283 82. महाभारत की नामानुक्रमणिका, पृ. 216 83. वैदिक कोश, पृ. 334 84. जुत्तं अनुतजोगंण पमाण मिति बाहुकेण अरहता इसिणा बुइत। -'इसिभासियाई' 14/1 गद्यभाग 85. अप्पणिया खलु भो! अप्पाणं समुक्कसिय ण भवति। बद्धचिन्धे णरवती, अप्पणिया खलु भो य अप्पाणं .... गमे णो वि रण्णे। --'इसिभासियाइयं' 14/गद्यभाग पृ. 53 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002508
Book TitleRishibhashit ka Darshanik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramodkumari Sadhvi
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2009
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size9 MB
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