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डॉ. साध्वी प्रमोदकुमारीजी
ऋषिभाषित के अतिरिक्त अन्यत्र इनका उल्लेख उपलब्ध नहीं होता है । उसी प्रकार बौद्ध परम्परा के किसी भी ग्रंथ में इनकी उपस्थिति की सूचना नहीं मिलती है। वस्तुत: याज्ञवल्क्य कौन थे? इनकी क्या मान्यता थी? आदि प्रश्नों के समाधान के लिए हमें वैदिक एवं औपनिषदिक परंपरा की ही शरण लेनी पड़ती है।
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वैदिक परंपरा में याज्ञवल्क्य का उल्लेख शतपथब्राह्मण, शंखायन, आरण्यक, बृहदारण्यक उपनिषद् और महाभारत में उपलब्ध होता है।" बृहदारण्यक उपनिषद् इनके संबंध में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करता है । विद्वान् ओल्डनेबर्ग ने बृहदारण्यक के आधार पर याज्ञवल्क्य को विदेह निवासी और जनक से संबंधित बताया है। वैदिक कोश में सूर्यकांत ने इनके विदेह निवासी होने में शंका उपस्थित की है । १८
जहाँ तक ऋषिभाषित में वर्णित याज्ञवल्क्य के उपदेश का प्रश्न है वे स्पष्टरूप से एषणाओं का पारस्परिक संबंध बताते हुए कहते हैं कि जब तक लोकेषणा की चाह है तब तक वित्तेषणा का अस्तित्व है। और जब तक वित्तैषणा का अस्तित्व तब तक लौकेषणा का अस्तित्व है । ९ ऋषिभाषित के याज्ञवल्क्य के उपदेश की तुलना बृहदारण्यक के उपदेश से की जा सकती है। वृहदारण्यक में वे कहते हैं कि आत्मा के स्वरूप को जानकर ब्राह्मण पुत्रैषणा, वित्तैषणा और लौकेषणा का त्यागकर भिक्षावृत्ति पर जीवन निर्वाह करे। ऋषिभाषित में भी वे यही कहते हैं कि एषणाओं का सर्वथा परित्याग करके गौपथ से जाए महापथ से नही । यहाँ महापथ से और गौपथ से याज्ञवल्क्य का तात्पर्य प्रवृत्तिमार्ग और निवृत्तिमार्ग से रहा होगा। शांतिपर्व में इन्हें जनक का उपदेष्टा कहा गया है। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि ये जनक के समकालीन ऋषि रहे होंगे वे ऋषिभाषित की संग्रहणी गाथा के अनुसार अरिष्टनेमि अर्थात् महाभारत के समकालीन नहीं है।
१३. मेत्तेज्ज भयाली
ऋषिभाषित के तेरहवें अध्ययन में मेत्तेज्ज भयाली के उपदेश संकलित हैं। जैन परंपरा में ऋषिभाषित के अतिरिक्त इनका उल्लेख समवायांग में हुआ है और स्थानांग७१ में अन्तकृत्दशा का सातवां अध्ययन भयाली से संबंधित रहा है, किन्तु
67. (अ) शतपथ ब्राह्मण 9/7 वैदिक कोश, पृ. 428
(ब) शंखायन आरण्यक 13/1 वही पृ. 428 (स) बृहदारण्यक उपनिषद्
68. ऋषिभाषित की भूमिका, डॉ. सागरमल जैन | 69. जावताव लोएसणा तावताव वित्तेसणा, जावताव वित्तेसणा तावताव लोएसणा ।
70. समवायांग सूत्र 11/4 71. स्थानांगसूत्र 157, 236
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-' इसि भासियाई' 12 / गद्यभाग
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