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________________ विषयसाधनत्व विषयाकार विषयानुविधायिन् विषयालोकव्यवहारविलोप विषयिन् विषयेन्द्रियविज्ञानमनस्कारादिलक्षण विसदृशपरिणाम विसंवाद विसंवादक विसंवादकान्त विस्तरोक्ति विस्रब्ध वीर जिन वृक्ष ७. १०; वृक्षदर्शिन् वृक्षादि वृत्तप्रसादवृत्तदोषप्रसर वृत्तसमत्व वृत्तिवाक्यार्थ वृत्तिविकल्पविरोध वेद वेदनादिवत् वेद्यता वेद्यवेदनिर्भास वेद्य वेदकाकार dadarकारभेद लाक्षणिक- दार्शनिकनामसूचिः ४. ७. ४. ७; ११०. १. ९७. ११. ३१. १४. २. २२. ३१. २५. २३.९; १०४. २३. ५. १७; १०५.१९. ८. १०; ८१. १८. १५. २७. ८०. १४. ८१. २१. १७. १५. १०.११; १४. १२; ४३. २९; ४४. ३; १०३.२६, १२७. १०. ७. १०. ५. १७; १०३. १४. वेद्यवेदक कारकज्ञान वैकल्य वैतण्डिक वैयधिकरण्य वैलक्षण्यादिशब्दवत् वंशद्य वैश्वरूप वंश व्यङ्गयविशेषानियम व्यञ्जकव्यापार व्यतिरेकचिन्ता व्यतिरेकपृथक्त्वग व्यतिरेकाप्रसिद्धि व्यतिरेकेतरैकान्त व्यतिरेकैकान्त ११९.२९. ८३. ३०; ९१. २४. ९०. २१. १२२. २५. २. ७. १०३. ६; १०४. १४; १२४. २६. वंशादिस्वरधारा १२०. २२. ८६. २३. व्यक्त ३१. ९, ५०. ४, १०२. १६. व्यक्ति ३२. ६, ३३. २५, ३५. ३, ५०. ३, १०२. १६, १०३. ८, ११८. १९. व्यक्तचावरण विच्छेदसंस्कारादिविरोध ८६. २१. ११८. २७. ११८. २७. Jain Education International ८३. २२; ८५. २३. ५१. १७. ११५.११. १२४. ३१. ३. ७. ६. १३. ११४. ९. २१. २१; १०३. २१. ११५. ४. ११४. २. ५८. २६. व्यतिरेक २३. ८, ९. व्यतिरेक ४६. १३; ४८. १४; ७७.४; १००. २०; १०७.१७; १०८. ९ १२६. १३. १०१. ४. २२. २६. ७६. १४. १६. २१. १६. १६. व्यपदेशनियमाभाव १००.१९. व्यपेक्षा ७. २४; ८. १६; १२७.६. व्यभिचार १. २६; ९७.१० ९९. १; १०६. १६, ११४. १५. व्यभिचारिन् ११०. ३१; १११.९, व्यवच्छेदस्वभाव व्यवच्छेदाविसंवादव्यवहर्तृ प्रवृत्ति व्यवसाय व्यवसायकृत् व्यवसायफल व्यवसायसादृश्याभिनिबोधनियम व्यवसायात्मसंवाद्यव्यपदेश्य व्यवस्थाभावप्रसंग व्यवसायात्मक व्यवहार १४. १३७. ९; ७६. २२; व्यवहारनय २३. ८; व्यवहारपर्याय व्यवहारप्रसाधक व्यवहारविरोधित्व ब्यवहारविलोप व्यवहारादिधी व्यवहारादिनिर्भास व्यवहारानुकूल व्यवहारापेक्ष व्यवहाराविसंवाद व्यवहारावि संवादी व्यवहितोत्पत्ति व्यस्त व्याकुलाप्त व्याख्यातू व्याख्याविप्रतिपत्ति व्याधिभूतग्रहादि व्याप्यविनिवत्तनी व्याप्यव्यापक व्याप्यसिद्धि व्यामोहविच्छेद व्यामोहशबलाकारवेदन ४३ ११४. २८; ५९. ७. ७५. ६. ३०. १५. ३९. १९. २०. २६. १००.२. २०. २३; २१.८. For Private & Personal Use Only १४. १७. १५. २४. - १४. ३. ५२. १७. ९०. २९. ११७. ३. ५४. ७ १०८. १०. व्यापक व्यापकसाधिनी १०६. ७. १०५.२४. १०५. २५, २७; १०९. १४. व्यापकानुपलब्धि व्यापारभेद व्यापारव्याहारविशेषाभाव व्यापारसमारोप १२३. ३१. १०५. १०. १०८. १. ११८. २६. व्यापिन् व्याप्ति ५.११; १७.७, १०६.७, १४; १०९.१४, १८. व्याप्तिविशेष १०४. १७. व्याप्य ५२. ५. २०. २०. व्यावहारिक व्यावहारिक प्रकृत्यादिप्रक्रियाप्रविभाग व्यावृत्ति ११७. २. १२६. ११. २३. १०. ४३. ३. २४. १३. ३५. १३. ४३. ८. ४१.५. २४. ६. १४. १९. ९.८, २४. ८, १०. १०६. ७. १०५. २५. ७४. १९; १०५. २२. १०५. २४. ९९. १९ १०७. २. ७२. २३. २५. १३, १९. २५. १२. ५७. १ ९९.५. www.jainelibrary.org
SR No.002504
Book TitleAkalanka Granthtrayam
Original Sutra AuthorBhattalankardev
AuthorMahendramuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1969
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size21 MB
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