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________________ सम्पादकीयइस टिप्पणसंग्रह में मुद्रित दार्शनिकग्रन्थों के सिवाय प्रमाणवार्तिक, प्रमाणवार्तिकालंकार, प्रमाणवार्तिक स्वोपज्ञवृत्ति, प्रमाणवार्तिकस्ववृत्तिटीका प्रमाणवार्तिकमनोरथनन्दिनीटीका, हेतुबिन्दु, हेतुबिन्दुटीका, मोक्षकरीय तर्कभाषा, सिद्धिविनिश्चयटीका से उद्धृत मूल सिद्धिविनिश्चय, नयचक्रवृत्ति आदि अलभ्य लिखित तथा प्रूफपुस्तकों का विशिष्ट उपयोग किया गया है। इस तरह प्रस्तुत ग्रन्थत्रय की यावत् ऐतिहासिक और तात्त्विक सामग्री के संग्रह करने का संभव प्रयत्न किया है । टिप्पण में जिस ग्रन्थ का पाठ दिया गया है उस ग्रन्थ का नाम [ ] इस ब्रेकिट में दिया गया है, शेष द्रष्टव्य ग्रन्थों के नाम ब्रेकिट के बाहिर दिए हैं। परिशिष्ट-इस संस्करण में { महत्त्वपूर्ण परिशिष्ट लगाए हैं। इन ग्रन्थों की कारिकाओं के आधे भाग भी अन्य ग्रन्थों में उद्धृत पाए जाते हैं, अतः कारिकाओं के प्राधे आधे भागों का अनुक्रम बनाया है, जिससे अनुक्रम बनाने का उद्देश सर्वांश में सफल हो। १-लघीयस्त्रय के कारिकाध का अकारादिक्रमसे अनुक्रम । २-लघीयस्त्रय में आए हुए अवतरणवाक्यों का अनुक्रम । ३-न्यायविनिश्चय के कारिकाध का अनुक्रम । ४-प्रमाणसंग्रह के कारिकाध का अनुक्रम । . ५-प्रमाणसंग्रह के अवतरणवाक्यों की सूची। , ६--लघीयत्रयादिग्रन्थत्रय के सभी लाक्षणिक और दार्शनिक शब्दों की सूची । ७-टिप्पणसंग्रह में उपयुक्त ग्रन्थों के संकेत का विवरण तथा स्थलनिर्देश । ८-टिप्पणनिर्दिष्ट आचार्यों की सूची। १-अकलंकदेव के नाम से अन्य ग्रन्थों में उद्धृत उन गद्यपद्यभागों की सूची, जो प्रस्तुतग्रन्थत्रय में नहीं हैं । इसमें उन्हीं गद्यपद्यभागों का संग्रह किया है, जिन्हें ग्रन्थकारों ने अकलंककर्तृकरूप से उद्धृत किया है । प्रस्तावना-इसके दो विभाग किए हैं-पहिला ग्रन्थकार से सम्बन्ध रखता है, तथा दूसरा ग्रन्थों से। ग्रन्थकार विभाग में अकलंकदेव के समयनिर्णय के लिए उपयोगी नवीन सामग्री का संकलन है। इसमें ग्रन्थों का आन्तरिक परीक्षण कर उन विशिष्ट एवं तथ्य विचारों का चयन है जिनके आधार से विचार करने पर ग्रन्थकार के इतिहास विवेचन में खासी मदद मिलेगी। अभी तक के इस दिशा में हुए प्रयत्न बाह्यनिरीक्षण से अधिक सम्बन्ध रखते हैं। ग्रन्थविभाग में प्रन्यों का बाह्यस्वरूप, उनका अकलंककर्तृत्व, उनके नाम का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002504
Book TitleAkalanka Granthtrayam
Original Sutra AuthorBhattalankardev
AuthorMahendramuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1969
Total Pages390
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size21 MB
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