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अपने मन की कमजोरी की वजह से गिरता है। मन बड़ा खतरनाक है। दुनियाँ में 10 चीजें चंचल हैं। दस मकार चंचल हैं।
"मनो मधुकरो मेघो, माननी मदनो मरूत् । मर्कटो मा मदो मत्स्यो , मकारा दश चंचला।।"
आदमी का मन, मधुकर (भौंरा), मेघ (बादल), मानिनी (स्त्री), मदन (कामदेव), मरूत (हवा), मर्कट (बंदर), माँ (लक्ष्मी), मद (अभिमान), और मत्स्य-ये दस चीजें दुनियाँ में चंचल हैं, और इनमें भी आदमी का मन सर्वाधिक चंचल है। इस मन को समझना बड़ी टेढ़ी खीर है। पल-पल में बदलता है, क्षण में फिसलता है। एक पल में एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ जाता है तो अगले ही पल बंगाल की खाड़ी में उतर जाता है। इसलिए मैं इसे, ‘मकार' नहीं 'मक्कार' कहता हूँ।
शास्त्रों में वर्णन आता है-तन्दुल मच्छ का। तन्दुल कहते हैं-चावल को। उस मच्छ का शरीर चावल के आकार जितना होता है। रहता कहाँ है ? मगरमच्छ की आँख की पलक पर। उसके पास पाँच इन्द्रियाँ होती हैं, मन भी होता है लेकिन आयु केवल 2 घड़ी यानि 48 मिनट की होती है। पर उस दो घड़ी की आयु में ही वो ‘मन के द्वारा' इतने चीकने यानि कठोर कर्म बाँध लेता है कि-मरने के बाद वो सातवीं नरक में जाकर पैदा होता है। आप कहेंगे-कैसे ?