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________________ 6 तन बूढ़ा हो जाता है, इन्द्रियाँ बूढ़ी हो जाती हैं, जीवन बूढ़ा हो जाता है मगर आदमी का मन कभी बूढ़ा नहीं होता। कामनाएँ और वासनाएँ कभी बूढ़ी नहीं होती और जिसका मन बूढ़ा हो जाता है फिर उसके जीवन में सन्यास घटित होने में कोई देर नहीं लगती। जिसकी कामनाएँ और वासनाएं मर जाएँ फिर वह आदमी दुनियाँ में कभी नहीं मरता। ऐसा आदमी राम, कृष्ण, बुद्ध और महावीर की तरह अमर हो जाता है। दुनियाँ में केवल वे मरते हैं जो अपने मन को नहीं मार पाते । मन के संदर्भ में प्रकाश डालते हुए अध्यात्म युग पुरुष प्रवर्त्तक श्री अमर मुनि जी महाराज फरमाते है कि असली समस्या मन है। इन्द्रियाँ तो केवल स्विच हैं, मेन स्विच तो मन ही है। जब कभी भी कोई विश्वामित्र अपनी तपस्या और साधना से फिसलता और गिरता है तो इसके लिए दोष हमेशा मेनका को दिया जाता है, जबकि दोष 'मेनका' का नहीं, आदमी के 'मन का' होता है। कोई भी आदमी मेनका के आकर्षण की वजह से नहीं, अपितु 29
SR No.002495
Book TitleKaise Kare Is Man Ko Kabu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherGuru Amar Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages72
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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