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________________ ममम 187 म म ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ सत्तावनवां समवाय तीन गणिपिटक के अध्ययन, गोस्तूभ पर्वत और महापातल का अन्तर, मल्ली जिन के मनः|| पर्यवज्ञानी, महाहिमवन्त और रुक्मि पर्वतों की जीवा का धनुः पृष्ठ । अट्ठावनवां समवाय ___ नारकावास, कर्मप्रकृतियाँ, गोस्तूभ और वडवामुख आदि का अन्तर। उनसठवां समवाय चन्द्रसंवत्सर, संभव जिन का गृहवास, मल्ली जिन के अवधिज्ञानी मुनि साठवां समवाय सूर्य की मण्डलपूर्ति, लवणसमुद्र का अग्रोदक, विमल जिन की अवगाहना, बलीन्द्र और ब्रह्म || देवेन्द्र के सामानिक देव, सौधर्म-ईशान कल्प के विमानावास। इकसठवां समवाय + ऋतुमास, मन्दर पर्वत का प्रथम काण्ड, चन्द्रमण्डल। . बासठवां समवाय ____पंचसांवत्सरिक युग में पूर्णिमाएँ-अमावस्याएँ, वायुपूज्य जिन के गण-गणधर, चन्द्र-कलाओं की * वृद्धि-हानि, सौधर्म-ईशान कल्प के विमानावास, वैमानिक-विमानप्रस्तट। तिरेसठवां समवाय * ऋषभ जिन का महाराज-काल, हरिवास-रम्यकवास के मनुष्यों का यौवन, निषध-नीलवन्त पर्वत पर सूर्योदय। | चौसठवां समवाय अष्टाष्टमिका भिक्षुप्रतिमा, असुरकुमारावास, दधिमुख पर्वत, विमानावास। + पैंसठवां समवाय ___ जम्बूद्वीप में सूर्यमण्डल, मौर्यपुत्र का गृहवास, सौधर्मावतंसक विमान की एक-एक दिशा में भवन। छियासठवां समवाय मनुष्यक्षेत्र में चन्द्र-सूर्य, श्रेयांस जिन के गण और गणधर, आभिनिबोधिक ज्ञान की उत्कृष्ट स्थिति। ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ // xxii // 步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步步
SR No.002488
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2013
Total Pages446
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size18 MB
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