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पुरुषादानीय पार्श्व अर्हत् के संघ में अड़तीस हजार आर्यिकाओं का उल्लेख है। यह उनके संघ में * उत्कृष्ट आर्यिका सम्पदा थी।
In the religious organization of the supreme human being Arihant Parshvanath there were thirty eight thousand supreme nuns.
२३५ - हेमवय- एरण्णवइयाणं जीवाणं धणुपिट्ठे अट्ठत्तीसं जोयणसहस्साइं सत्त य चत्ताले जोयणसए दस गूणवीसइभागे जोयणस्स किंचि विसेसूणा परिक्खेवेणं पण्णत्ते । अत्थस्स णं पव्वयरण्णो बितिए कंडे अट्ठत्तीसं जोयणसहस्साइं उड्डुं उच्चत्तेणं होत्था ।
हैमवत और ऐरण्यवत क्षेत्रों की जीवाओं के विषय में कहा गया है कि उन जीवाओं का धनुः पृष्ठ अड़तीस हजार सात सौ चालीस योजन और एक योजन के उन्नीस भागों में से दश भाग से कुछ कम परिक्षेप वाला है। जहाँ सूर्य अस्त होता है, उस पर्वतराज मेरु का दूसरा कांड अड़तीस हजार योजन ऊँचा है।
About the diameters of Haimvat and Airanyavat region it has been said that the Dhanupristh of these diameters is a little less than the ten parts of nineteen part of one yojana and thirty eight thousand seven hundred forty yojanas. The second wing of the Mount Meru where the sun sets is thirty eight yojana high.
२३६ - खुड्डियाए णं विमाणपविभत्तीए बितिए वग्गे अट्ठत्तीसं उद्देसणकाला पण्णत्ता । क्षुद्रिका विमान- प्रविभक्ति नामक कालिक श्रुत के द्वितीय वर्ग में अड़तीस उद्देशन काल कहे गए
In second volume of the Kshudrika Viman pravibhaktinamak kaalik shrut thirty eight udeshan kaal have beensaid.
।। अड़तीसवां समवाय समाप्त ॥
(The End of Thirty Eighth Samvaya)
उनतालीसवां समवाय
The Thirty Nineth Samvaya
२३७ - नमिस्स णं अरहओ एगूणचत्तालीसं आहोहियसया होत्था ।
समयखेत्ते एगूणचत्तालीसं कुलपव्वया पण्णत्ता, तं जहा- तीसं वासहरा, पंच मंदरा,
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समवायांग सूत्र
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39th Samvaya