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अक्षरश्रुत
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१. अथ किं तत् संज्ञाक्षरम् ? अक्षरस्य संस्थानाऽकृतिः, तदेतत्संज्ञाक्षरम् ।
२. अथ किं तद्व्यञ्जनाक्षरं ? व्यञ्जनाक्षरमक्षरस्य व्यञ्जनाभिलापः, तदेतद्व्यञ्जनाक्षरम् ।
३. अथ किं तल्लब्ध्यक्षरं ? लब्ध्यक्षरम्-अक्षरलब्धिकस्य लब्ध्यक्षरं समुत्पद्यते, तद्यथा-श्रोत्रेन्द्रिय-लब्ध्यक्षरं. चक्षुरिन्द्रिय-लब्ध्यक्षरं घ्राणेन्द्रिय-लब्ध्यक्षरं, रसनेन्द्रियलब्ध्यक्षरं, स्पर्शेन्द्रिय-लब्ध्यक्षरं, नोइन्द्रिय-लब्ध्यक्षरं, तदेतल्लब्ध्यक्षरं, तदेतदक्षरश्रुतम् ।
पदार्थ-से किं तंभक्खरसुभ-अथ वह अक्षरश्रुत कितने प्रकार का है? अक्खरसुध-अक्षरश्रत तिविहं-तीन प्रकार से पराण-प्रतिपादन किया गया है। तं जहा-जैसे सन्नक्खरं-संज्ञा अक्षर वंजणक्खरं-व्यञ्जनाक्षर, लुद्धिभक्त्रं-लब्धि अक्षर ।
से कि तं सन्नक्खरं-वह संज्ञाक्षर क्या है ? सन्नक्खरं-संज्ञा-अक्षर अक्सरस्स-अक्षर की - संढाणागिई–संस्थान-आकृति, से तं सन्नक्खरं-इस प्रकार संज्ञा अक्षर है।
से कितं वंजणक्खरं-वह व्यञ्जन अक्षर किस प्रकार है ? वंजणक्खरं-व्यञ्जनाक्षर अक्खरस्स-अक्षर का वंजणाभिजावो--व्यञ्जन अभिलाप, से संबंजणक्खरं-यह व्यञ्जन अक्षर है।
से कि तंखदि-मक्खरं-वह लब्धि अक्षर किस प्रकार है ? लखि अक्खरं-लब्धि अक्षर अक्खरखद्धियस्स-अक्षर लब्धि का लद्धि अक्खरं-लब्धि अक्षर समुप्पज्जह-समुत्पन्न होता है, तं जहा-जैसे सोइंदिय-लदिभक्खरं-श्रोत्रेन्द्रिय-लब्धि अक्षर, चविखंदिय-लभिक्खरं-चक्षुरिन्द्रिय-लब्धि अक्षर,पाणिदिन लद्धिअक्खरं-घ्राणेन्द्रिय-लब्धि अक्षर, रसणिदिय लक्खिरं-रसनेन्द्रिय-लब्धि अक्षर, फासिदिन लद्धिमक्ख-स्पर्शेन्द्रिय-लब्धि अक्षर, नोइंदिन-लामिक्खरं-नोइन्द्रिय-लन्धि अक्षर, सेसं लखिमक्खरं यह लब्धि-अक्षरश्रुत है, से तं अक्खरसुअं-इस प्रकार यह अक्षरश्रुत का निरूपण किया गया है । . भावार्थ-१. शिष्य ने पूछा-देव ! वह अक्षरश्रुत कितने प्रकार का है ?
गुरु उत्तर में बोले-भद्र ! अक्षरश्रुत तीन प्रकार से वर्णन किया गया है, जैसे१. संज्ञा-अक्षर, २. व्यञ्जन-अक्षर और ३. लब्धि-अक्षर ।
१. वह संज्ञा-अक्षर किस तरह का है ? संज्ञा-अक्षर-अक्षर का संस्थान और आकृति आदि । यह संज्ञा-अक्षर का स्वरूप है।
२. वह व्यञ्जन-अक्षर क्या है ? व्यञ्जन-अक्षर-अक्षर का उच्चारण करना, इस प्रकार व्यञ्जन-अक्षर का स्वरूप है।
. ३. वह लब्धि-अक्षर क्या है ? लब्धि-अक्षर-अक्षर-लब्धि का लब्धि-अक्षर समुत्पन्न होता है अर्थात् भावरूप श्रुतज्ञान उत्पन्न होता है । जैसे-श्रोत्रेन्द्रिय-लब्धि-अक्षर, चक्षुरिन्द्रिय-लब्धि-अक्षर, घ्राण-इन्द्रिय-लब्धि-अक्षर, रसनेन्द्रिय-लब्धि-अक्षर, स्पर्शेनेन्द्रिय-लब्धि