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सिद्ध-केवलज्ञान
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३. एक समय में १०६ सीझे हुए सिद्ध, उनसे अनन्त गुणा ।
४. एक समय में १०५ सीझे हुए, सिद्ध उनसे अनन्त गुणा । इसी पच्छानुपूर्वी से एक-एक समय में, एक-एक कम करते हुए यावत् ५० तक अनन्तगुणा बढ़ाना । उनचास से लेकर छवीस तक असंख्यात गुणा कहना । पच्चीस से लेकर यावत् एक तक संख्यात गुणा कहना। उक्तं च
"अट्ठसय सिद्ध थोवा, सत्तहियसया अणंत गुणिया य । एवं परिहायंते सयगाो , जाव पण्णासं ॥ तत्तो पण्णासाओ असंखगुणिया, उ जाव पणवीसं । पणवीसा प्रारंभा, संखगुणा हुन्ति एगं जा ॥"
दूसरे प्रकार से अल्पबहुत्व १. अधोमुख से सीमें हुए सिद्ध, सब से थोड़े (किसी पूर्व वैरी ने कायोत्सर्ग स्थित मुनि को पाओं से घसीट कर अधोमुख कर दिया, उसी अवस्था में केवलज्ञान को पा कर सिद्ध हुए)।
२. ऊर्ध्वस्थित कायोत्सर्ग में सीझे हुए सिद्ध, उनसे संख्यात गुणा । ३. उत्कटासन से सीझे हुए सिद्ध, उनसे संख्यात गुणा । ४. वीरासन से सीझे हुए सिद्ध, उनसे संख्यात गुणा। ५. पद्मासन से सीझे हुए सिद्ध, उनसे संख्यात गुणा। ६. उत्तानमुख से सीझे हुए सिद्ध, उनसे भी संख्यात गुणा । ७. पाश्र्वासन से सीझे हुए सिद्ध, उनसे भी संख्यात गुणा ।
. . तीसरे प्रकार से अल्पबहुत्व १. एक समय में एक-एक सिद्ध हुए, सबसे अधिक । २. एक समय में दो-दो सिद्ध हुए, उनसे स्वल्प । ३. एक समय में तीन-तीन सिद्ध हुए, उनसे स्वल्प । ४. एक समय में चार-चार यावत् २५-२५ सीझे हुए सिद्ध, संख्यातगुण हीन स्वल्प ।
५. इसी क्रम से २६-२६ सीझे हुए सिद्ध, उनसे असंख्यात गुणा न्यून यावत् ५०-५० सिद्ध हुए असंख्यात गुणा न्यून। ६. एक समय में ५१-५१ सीझे हुए सिद्ध, उनसे अनन्त गुणा न्यून । इस प्रकार १०८ पर्यन्त कहना।
चौथे प्रकार से अल्पबहुत्व १. जिस स्थान से बीस ही सिद्ध हो सकते हैं, वहाँ से एक समय में एक-एक सीझे हए सिद्ध, सवसे अधिक।
२. एक समय में दो-दो सीझे हुए सिद्ध, उनसे संख्यात गुणा न्यून । ३. एक समय में ४-४ सीझे हुए सिद्ध, उनसे संख्यात गुणा न्यून । ४. इसी प्रकार ५-५ तक कहना। ५. छः छः से लेकर दस तक असंख्यात गुणा न्यून कहना।
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