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________________ ४. वेदद्वार १. नपुंसक वेद से अवेदी सिद्ध, सबसे थोड़े | २. स्त्रीवेद से अवेदी हुए सिद्ध, उन से संख्यात गुणा । ३. पुरुष वेद से अवेदी हुए सिद्ध, उन से संख्यात गुणा । ५. तीर्थद्वार सिद्ध-केवलज्ञान १. स्त्री- तीर्थंकर सिद्ध हुए, सबसे थोड़े । २. उन्हीं के तीर्थ में प्रत्येक बुद्ध सिद्ध हुए, संख्यात गुणा । ३. उन्हीं के तीर्थ में साध्वी सिद्ध हुए, उन से संख्यात गुणा । ४. उन्हीं के तीर्थ में साधु सिद्ध हुए, उन से संख्यात गुणा । ५. पुरुष तीर्थंकर सिद्ध हुए, उनसे अनन्त गुणा । ६. उन्ही के तीर्थ में प्रत्येक बुद्ध सिद्ध हुए, उनसे संख्यात गुणा । • ७. उन्हीं के तीर्थ में साध्वी सिद्ध हुए, उनसे संख्यात गुणा । ८. उन के तीर्थ में साधु सिद्ध हुए, उनसे संख्यात गुणा । ६. लिंगद्वार १. गृहलिंग सिद्ध, सब से थोड़े । २. अन्यलिंग से सिद्ध हुए, उन से असंख्यात गुणा । ३. स्वलिंग से सिद्ध हुए, उन से असंख्यात गुणा । ७. चारित्रद्वार ८. बुद्धद्वार १. वे सिद्ध सब से थोड़े हैं, जिन्होंने क्रमशः पांच चारित्रों की आराधना की है । २. जिन्होंने परिहार विशुद्धि चारित्र के अतिरिक्त चार चारित्रों की क्रमशः आराधना की है, वे सिद्ध उनसे संख्यात गुणा । ३. जिन्हों ने सामायिक, सूक्ष्मसंपराय और यथाख्यात चारित्र की आराधना की है, वे सिद्ध उन से संख्यात गुणा । १३ १. स्वयंबुद्ध सिद्ध, सब से थोड़े । २. प्रत्येकबुद्ध सिद्ध हुए, उन से संख्यात गुणा । ३. बुद्धबोधित सिद्ध हुए, उन से संख्यात गुणा । ६. ज्ञानद्वार १. जिन्होंने केवलज्ञान से पहले मति, श्रुत और मनःपर्यव ये तीन ज्ञान प्राप्त किए हैं, वे सिद्ध सबसे थोड़े । २. जिन्होंने मति और श्रुत ज्ञान के पश्चात् केवलज्ञान प्राप्त किया, वे सिद्ध उनसे संख्यात गुणा ।
SR No.002487
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAcharya Shree Atmaram Jain Bodh Prakashan
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size16 MB
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