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पारमार्थिक प्रत्यक्ष के तीन भेद
छाया-अथ किं तद् भवप्रत्ययिकं ?भवप्रत्ययिकं द्वयोः, तद्यथा-देवानाञ्च नैरयिकाणाञ्च ॥ सूत्र ७॥
भावार्थ-शिष्य ने प्रश्न किया-वह भवप्रत्ययिक-जन्म से होने वाला अवधिज्ञान किन को होता है ? उत्तर में गुरुदेव वोले-हे शिष्य ! वह भवप्रत्ययिक दो को होता है, जैसे कि-देवों को और नारकीय जीवों को ॥ सूत्र ७ ॥
मूलम्-से किं तं खामोवसमियं ? खावोसमियं दुण्हं, तं जहा-मणुस्साण य, पंचेंदियतिरिक्खजोणियाण य। को हेऊ खामोवसमियं ? खामोवसमियं तयावरणिज्जाणं कम्माणं उदिण्णाणं खएणं, अणुदिण्णाणं उवसमेणं ओहिनाणं समुप्पज्जइ ॥ सूत्र ८ ॥
छाया-अथ किं तत् क्षायोपशमिकं ? क्षायोपशमिकं द्वयोः, तद्यथा-मनुष्याणाञ्च, 'पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिजानाञ्च । को हेतु क्षायोपमिकं ? क्षायोपशमिकं, तदावरणीयानां कर्मणामुदीर्णानां क्षयेण, अनुदीर्णानामुपशमेन-अवधिज्ञानं समुत्पद्यते ॥ सूत्र ८ ॥
. पदार्थ से किं तं खामोवसमियं ?-वह क्षायोपशमिक अवधिज्ञान किन को होता है ? खाभोवसमियं-क्षायोपशमिक दोपहं-दो को होता है, तं जहा-जैसे मणुस्साण-मनुष्यों को य-और पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं य–पञ्चेन्द्रयतिर्यञ्चों को, खाअोवसमियं-क्षायोपशमिक में को हेऊ?-क्या हेतु है ? खामोवसमियं-क्षायोपशमिक उदिएणाणं-उदयप्राप्त तयावरणिज्जाणं - अवधिज्ञानावरणीय कम्माणंकर्मों के-खएणं क्षय से अणुदिणाणं-अनुदीर्ण कर्मों के उवसमेण-उपशम से ओहिनाणं-अवविज्ञान समुप्पज्जइ-उत्पन्न होता है। ____ भावार्थ-शिष्य ने पुनः प्रश्न किया-गुरुदेव ! वह क्षायोपशमिक अवधिज्ञान किन को उत्पन्न होता है ? गुरुदेव उत्तर में बोले___हे भद्र ! वह क्षायोपशमिक अवधिज्ञान दो को होता है, जैसे-मनुष्यों को और पञ्चेन्द्रिय-तिर्यञ्चों को।
शिष्य ने फिर पूछा-गुरुदेव ? क्षायोपशमिक अवधिज्ञान उत्पन्न होने में क्या हेतु है ? उत्तर में गुरुदेव बोले-जो कर्म अवधिज्ञान में आवरण-रुकावट उत्पन्न करने वाले हैं, उन में उदयप्राप्त को क्षय करने से और जो उदय को प्राप्त नहीं हुए हैं, उन्हें उपशम करने से अवधिज्ञान उत्पन्न होता है । इस हेतु से क्षायोपशमिक अवधिज्ञान कहा जाता है । सू० ८ ॥
टीका-इस सूत्र में नोइन्द्रिय-प्रत्यक्ष जान के तीन भेद बताए हैं, जैसे कि अवधिज्ञान, मनःपर्यव मान और केवल शाम । जो ज्ञान इन्द्रिय और मन की सहायता के बिना उत्पन्न होता है, उसे नोइन्द्रिय प्रत्यक्ष कहते हैं।