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१६२
अनुक्रमणिका १. अर्हत्स्तुति
२. मनःपर्यवज्ञान के भेद २. वीरस्तुति
४१ ३. मनःपर्यवज्ञान का उपसंहार ३. संघनगरस्तुति
है १. केवलज्ञान ४. संघचक्रस्तुति
२. सिद्धकेवलज्ञान ५. संघरथस्तुति
३. अनन्तरसिद्ध केवलज्ञान
१४२ ६. संघसूर्यस्तुति
४. परम्परसिद्ध केवलज्ञान
१४७ १. संघसमुद्रस्तुति
१. केवलज्ञान का उपसंहार ' म. प्रकारान्तर से संघ मेरुस्तुति
६. वाग्योग और श्रुत
१५६ १. चतुर्विंशतिजिनस्तुति
१. परोक्ष ज्ञान १०. गणधरावलि
२. मति और श्रुत के दो रूप ११. वीर शासन की महिमा
३. भाभिनिबोधिकज्ञान १२. युगप्रधानस्थविरावलि-वन्दन
४: औत्पत्तिकी बुन्नि का लक्षण १६२ १३. श्रोता के चौदह दृष्टान्त
५. औत्पत्तिकी बुद्धि के उदाहरण १४. तीन प्रकार की परिषद
६. वैनयिकी बुद्धि का लक्षण १. ज्ञान के पाँच भेद
७. वैनयिकी बुद्धि के उदाहरण .... २. प्रत्यक्ष और परोक्ष
८. कर्मजा बुद्धि का लक्षण ३. सांच्यावहारिक और पारमार्थिक प्रत्यक्ष १. कर्मजा बुद्धि के उदाहरण ४. सांब्यावहारिक प्रत्यक्ष के भेद ... ३ १०. पारिणामिकी बुद्धि का लक्षण ... ५. पारमार्थिक प्रत्यक्ष के तीन भेद ....
११. पारिणामिकी बुद्धि के उदाहरण ... ६. अवधिज्ञान के छ भेद
१२. श्रुतनिश्रित मतिज्ञान ... २१८ .. ७. श्रानुगामिक अवधिज्ञान
१३. अवग्रह
२१६ ८. अन्तगत और मध्यगत में विशेषता
२२५ १. अनानुगामिक भवधिज्ञान
१५. अवाय
२२७ १०. बर्द्धमान अवधिज्ञान
१६.. धारणा
२२८ ११. अवधिज्ञान का जघन्य क्षेत्र
१७. अवग्रहादि का कालमान ... २३० १२. अवधिज्ञान का उत्कृष्ट क्षेत्र
१८. प्रतिबोधक के दृष्टान्त से व्यंजनावग्रह २३० १३. अवधिज्ञान का मध्यम क्षेत्र
१६. मल्लक के दृष्टान्त से व्यंजनावग्रह २३३ १४. कौन किस से सूक्ष्म है ?
२०. अवग्रह आदि के छः उदाहरण .... २३६ १५. हीयमान अवधिज्ञान
२१. पुनद्रव्यादि से मतिज्ञान का स्वरूप २४५ १६. प्रतिपाति अवधिज्ञान
२२. श्राभिनियोधिकज्ञान का उपसंहार २४६ १७. द्रव्यादि से अवधिज्ञान का निरूपण २३. श्रुतज्ञान
____ .... .२५१ १८. भवधिज्ञान का उपसंहार
१ २४. द्वादशाङ्ग का विवरण .... २८८ १६. प्रवास-बाह्य अवधि
२५. श्रुतज्ञान और नन्दी का उपसंहार ३५६ १. मनःपर्यवज्ञान
२६. परिशिष्ट-१, २,
३६२-३७२