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________________ अधिकारी जीव गृहस्थी–घरबारी-संसारी कहलाते हैं। भले ही ४ थे गुणस्थान पर कोई श्रद्धालु श्रावक बन गया हो फिर भी है तो वह संसारी गृहस्थ । क्योंकि धर्म की श्रद्धा जरूर हुई है लेकिन अभी संसार छोडकर त्यागी-विरक्त साधु नहीं बन पाया है। और इसी तरह ५ वाँ गुणस्थान भी श्रावक का ही है। श्रावक सम्यक्त्वी (४ थे गुणस्थानवी) देशविरतिधर (५ वें गुणस्थानवी जीव) __श्रावक दो प्रकार का है । एक तो अविरत सम्यक्दृष्टि है । जो मन में देव-गुरु-धर्म के प्रति श्रद्धा सही रखता है । परन्तु अविरतिधर है । इसलिए अभी सब पापों को न करने के पच्चक्खाण या प्रतिज्ञा नहीं की है इसलिए अविरतिजन्य पाप की प्रवृत्तियाँ चालू ही रहती है। सच तो यह है कि ४ थे गुणस्थान पर चारित्रात्मक आचरण शुरु नहीं हुआ है। अभी तो सिर्फ मानसिक श्रद्धा मात्र बनी है । अतः अविरति स्वाभाविक है। लेकिन जैसे ही वह ५ वे गुणस्थान पर पहुँचता है कि व्रत, विरति और पच्चक्खाण शुरू हो जाता है। अतः ५ वाँ गुणस्थान आचरण का है । ४ था सिर्फ श्रद्धा भाव से मानने का है। फिर भी ५ वे गुणस्थान तक असाधु है । अभी तक गृहस्थी-संसारी है । अतः १ ले मिथ्यात्व के गुणस्थान से ५ वे गुणस्थान तक सभी गृहस्थाश्रमी घरबारी असाधु हैं, यद्यपि धीरे-धीरे धर्म की तरफ आगे विकास जरूर साधा है। पाहा . . - यदि आप १ ले गुणस्थान से सही रूप में देखें तो मिथ्यात्व से सम्यक्त्व की भूमिका में प्रवेश करने आदि की प्रक्रिया से साफ स्पष्ट होता है कि धर्मप्राप्ति-धर्म की श्रद्धा आचरण और फिर त्याग आदि क्रमशः धीरे-धीरे प्राप्त करता जाता है। __अब छठे गुणस्थान पर आकर संसार से महाभिनिष्क्रमण अर्थात् सदा के लिए त्याग करता है । बस, यही संसार को अन्तिम सलामी है । चरम विदाय है । जब संसार को अलविदा सदा के लिए कह दी है तो फिर संसार एवं संसार की प्रवृत्तियों के प्रति पुनः पीछे मुडकर देखना तक नहीं है। उनमें रस-दिलचस्पी भी लेनी नहीं चाहिए। नहीं तो पुनः संसार की प्रवृत्तियाँ करने का मन बन जाएगा। अतः ज्ञानी गीतार्थ महात्मा स्पष्ट कहते हैं कि... क्लेशे वासित मन संसार, क्लेश रहित मन होय भवपार। ९६० .. आध्यात्मिक विकास यात्रा
SR No.002483
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year2007
Total Pages570
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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