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________________ अनादि-अनन्त होते हुए भी इस संसार का जीव के लिए अन्त आ जाएगा। यही साध्य है, यही करणीय है, यही करना भी है। गुणस्थानों पर बंधहेतुओं की संभावना १४ गुणस्थानों में से १३ गुणस्थानों तक उन प्रत्येक पर, कर्म बंध होता ही है । होने की संभावना भी पूरी है। अतः जहाँ जहाँ भी कर्म का बंध होता ही रहेगा वहाँ-वहाँ कर्मबंध के हेतु भी अवश्य ही रहेंगे और उन हेतुओं के पीछे आश्रवादि भी अवश्य ही रहेंगे। तभी तो कर्मबंध होगा। नीचे नीचे के गुणस्थानों पर बंध हेतुओं की संख्या ज्यादा-ज्यादा रहेगी। और जैसे जैसे गुणस्थान के सोपान ऊपर ऊपर चढते ही जाएंगे वैसे वैसे बंध हेतु घटते जाएंगे-कम होते जाएंगे, उसी तरह कषायादि की मंदता होने के कारण बंधस्थिति भी कम होगी, और बंधहेतु की मात्रा तथा तरतमता भी कम होने के आधार पर बंधस्थिति भी कम ही रहेगी। परिणामों की विशुद्धि के आधार पर तथा कषायों की मन्दता के आधार पर बंधहेतुरूप अध्यवसाय भी ज्यादा नहीं रहेंगे, ज्यादा संख्या में भी नहीं तथा ज्यादा मात्रा में भी नहीं। इसलिए नीचे नीचे के गुणस्थानों पर बंध हेतुओं-आश्रवों की बहुलता तथा कषायों आदि की तीव्रता, तथा अशुभ लेश्याओं की प्रधानतादि तथा अध्यवसायों की मलीनता के कारण कर्मों का बंध भी तीव्रतम, अधिकतम, स्थिति आदि भी अधिकतम बनती ही रहेगी। मिथ्यात्वादि पाँच प्रकार के बंध हेतु १३ गुणस्थानों पर कितने कहाँ किस तरह रहते हैं उनकी विचारणा इस प्रकार है ___सिर्फ योग १ ही बंध हेतु रहता है। १३ स.के. . सिर्फ योग १ ही बंध हेतु रहता है। १२ क्षी.मो. . सिर्फ कषाय और योग ये २ बंध हेतु रहते हैं। ११ उप. सिर्फ कषाय और योग ये २ बंध हेतु रहते हैं। १० सू.सं. सिर्फ कषाय और योग ये २ बंध हेतु रहते हैं। ९अनि. सिर्फ कषाय और योग ये २ बंध हेतु ...। ८अपू. सिर्फ कषाय और योग ये २ बंध...। ७ अप्र. ६स.वि. प्रमाद,कषाय तथा योग ये ३ बंध हेतु रहते हैं। ५देवि मि.रहित देश से अविरति और शेष ३ बंध हेतु रहते हैं। ४ अस. मि.सिवाय के शेष ४ बंध हेतु रहते हैं। ३ मि. मि.सिवाय के शेष ४ बंध हेतु रहते हैं। २ सा. मि.सिवाय के ४ बंध हेतु रहते हैं। १ मि. पहले गुणस्थान पर मिथ्यात्वादि पांचों बंध हेतु रहते हैं। कर्मक्षय- "संसार की सर्वोत्तम साधना" ८८१
SR No.002483
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year2007
Total Pages570
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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