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कौन-कौन सी कर्म प्रकृतियाँ जीव किस किस गुणस्थान पर नहीं बांधता है? और कौनसी बांधता है ? यह स्वरूप तथा किस कर्मविशेष की कितनी प्रकृतियाँ जीव किस गुणस्थान पर रहकर बांधता है? इसका स्पष्ट ख्याल उपरोक्त तालिका देखने से आ जाएगा। गुणस्थानों पर कर्म सत्ता
जब कर्म का बंध होता है, और बंध के बाद जब तक उस कर्म का समूल क्षय नहीं होता है तब तक वह कर्म आत्मप्रदेशों पर चिपका हुआ (लगा हुआ रहता है । इसे सत्ता कहते हैं। सत्ता यहाँ उस कर्म के अस्तित्व की सूचक है । उतने काल तक वह कर्म, और कर्मों की अवान्तर प्रकृतियाँ आत्मा पर लगी रहती है । यह सत्ता है। अब आप देखिए कि किस गुणस्थान पर पहुँचे हुए महात्मा को कितनी कर्मप्रकृतियाँ सत्ता में पड़ी रहती है। यह निम्न तालिका से स्पष्ट होगा१.पहले मिथ्यात्व गुणस्थान पर मूल ८ कर्म,तथा १४८ उत्तर प्रकृतियों की सत्ता होती है। २.सास्वादन गुणस्थान पर मूल ८ कर्म,तथा १४७ उत्तर प्रकृतियों की सत्ता होती है। ३.मित्र गुणस्थान पर मूल ८ कर्म,तथा १४७ उत्तर प्रकृतियों की सत्ता होती है। ४.अविरत सम्यक्त्व गुणस्थान पर मूल ८ कर्म,तथा १४८ उत्तर प्रकृतियों की सत्ता होती है ५.देशविरति गुणस्थान पर मूल ८ कर्म,तथा १४८ उत्तर प्रकृतियों की सत्ता होती है। . ६.सर्वविरतिप्रमत्त गुणस्थान पर मूल ८ कर्म,तथा १४८ उत्तर प्रकृतियों की सत्ता होती है। ७.अप्रमत्त सर्वविरति गुणस्थान पर मूल ८ कर्म,तथा १४८ उत्तर प्रकृतियों की सत्ता होती है ८.अपूर्वकरणानिवृत्ति) गुण.पर मूल ८ कर्म,तथा १४८ /१४२ उत्तर प्रकृतियों की सत्ता होती है। ९.अनिवृत्ति बादर गुणस्थान पर मूल ८ कर्म,तथा १४८ /१४२ उत्तर प्रकृतियों की सत्ता होती है। १०.सूक्ष्म संपराय गुणस्थान पर मूल ८ कर्म,तथा १४८ /१४२ उत्तर प्रकृतियों की सत्ता होती है। ११.उपशान्त मोह गुणस्थान पर मूल ८ कर्म,तथा १४८./१४२ उत्तर प्रकृतियों की सत्ता होती है। . १२.क्षीण मोह गुणस्थान पर मूल कर्म,तथा १०१/९९ उत्तर प्रकृतियों की सत्ता होती है। १३.सयोगी केवली गुणस्थान पर मूल ४ कर्म,तथा ८५ उत्तर प्रकृतियों की सत्ता होती है। । १४.अयोगी केवली गुण.पर मूल ४ कर्म,तथा ८५/१३/१२ उत्तर प्रकृतियों की सत्ता होती है। ___ इस तरह १४ गुणस्थानों पर कर्म की प्रकृतियों की सत्ता रहती है । जैसे गुणस्थानों
के एक-एक सोपान ऊपर-ऊपर चढते जाते हैं वैसे वैसे निर्जरा-क्षय होने से सत्ता में . . से कर्मप्रकृतियाँ कम होती जाती हैं । और जैसे जैसे नीचे-नीचे के गुणस्थानों पर रहते हैं
आध्यात्मिक विकास यात्रा