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________________ १ मिथ्यात्व गुणस्थान पर ११७ कर्मप्रकृतियों का बंध होता है। २ दूसरे सास्वादन गुण पर १०१ कर्मप्रकृतियों का बंध होता है। ३ तीसरे मिश्र गुणस्थान पर ६९ कर्मप्रकृतियों का बंध होता है। ४ चौथे अविरत सम्यक्त्व गुणस्थान पर ७१ कर्मप्रकृतियों का बंध होता है। ५ पाँचवे देशविरति गुणस्थान पर ६७ कर्मप्रकृतियों का बंध होता है। ६ छठे प्रमत्त संयत गुणस्थान पर ६३ कर्मप्रकृतियों का बंध होता है। ७ वे अप्रमत्त संयत गुणस्थान पर ५९ कर्मप्रकृतियों का बंध होता है। ८ वे निवृत्त (अपूर्वकरण) गुणस्थान पर ५८ कर्मप्रकृतियों का बंध होता है। ९ वे अनिवृत्ति बादर गुणस्थान पर २२, २१, २० कर्मप्रकृतियों का बंध होता है। १० वे सूक्ष्मसम्पराय गुणस्थान पर १७ कर्मप्रकृतियों का बंध होता है। ११ वे उपशान्त मोह गुणस्थान पर १ कर्मप्रकृति का बंध होता है। १२ वे क्षीण मोह गुणस्थान पर १ कर्मप्रकृति का बंध होता है। १३ वे सयोगी केवली गुणस्थान पर १ कर्मप्रकृति का बंध होता है। १४ वे अयोगी केवली गुणस्थान पर एक भी कर्मप्रकृति का बंध नही होता है। ... यहाँ मात्र स्थूल रूप से किस गुणस्थान पर कितनी कर्म प्रकृतियों का बंध होता है यह संख्यामात्र से निर्देश किया है। यदि आपकी विशेष जिज्ञासा हो कि किस कर्म की कितनी प्रकृतियों का बंध होता है तो कृपया निम्न तालिका देखिएअनु. गुणस्थान ज्ञाना. दर्शना. वेदनीय मोहनीय आयुष्य नाम गोत्र अंतराय . . ssss १ मिथ्यात्वे ५ ९ २ २६ ४६४ २५ २ मास्वादनं. ५९ २ : २४ ३ । मि) ५६ अविरते ८ ६ देशविरते प्रमत्तसंयते ५ ६ अंप्रमत्त.. ५ ६ अपूर्वकरणे ५ ६/४ १ . अनिवृत्ति ५ ४ सूक्ष्म संप. ५ .४ ११ उपशांत मोहे ० ० १२ सीण मोहे ० ० १ ० १३ मयोगी केवली ० . ० १ ० 24 अयोगी केवली ० . ܘ ܘ ܘ ܘ .ܘ or ora... o. o. a. ० ० ० ० ' ० ० ० . कर्मक्षय- “संसार की सर्वोत्तम साधना"
SR No.002483
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year2007
Total Pages570
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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