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________________ M Inelmeinni वायाचा hot A तपाचार Mile/IAS १) ज्ञान गुण के अनुरूप आचरण को ज्ञानाचार कहा है। गौर ज्ञानाचार के पालन के लिए की जाती मुख्य प्रवृत्तियों में १) व्याख्यान देना, सुनना, २) सूत्र-अर्थ पढना-लिखना, सीखना, वाचना लेना, देना, स्वाध्याय करना, वांचना, पृच्छना, अनुप्रेक्षा, परावर्तना, MP धर्मकथा रूप पाँचों प्रकार का स्वाध्याय करना। महामंत्र नवकार का जापादि करना, विनय-विवेक का पालन करते हुए ज्ञानी गीतार्थ गुरुजन, वडीलवर्ग सबके प्रति शिष्टाचार-सभ्य आचार का पालन करना आदि, ज्ञान के आदान-प्रदान- चिन्तनमनन-श्रवणादि ज्ञानाचार के | अनेक प्रकार हैं। दर्शनाचार के क्षेत्र में-जिन-जिनेश्वर परमात्मा के दर्शन करना। प्रभुपूजा, जिनभक्ति आदि श्रेष्ठ कक्षा का दर्शनाचार है। गुरु दर्शन-वंदनादि दर्शनाचार की क्रिया है। तीर्थों की यात्रा करना, माला जापादि, स्तोत्रपाठ, स्तुति-स्तवनादि । दर्शनाचार का धर्म है। चारित्राचार ज्ञानाचार MICE साधना का साधक – आदर्श साधुजीवन ७३७
SR No.002483
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year2007
Total Pages570
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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