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९) रात्रि में भी जलपान-भोजन कर लेता | ९) आजीवन रात्री जलपान-भोजन का
सर्वथा त्यागी। १०) झूठ के बिना व्यापारादि नहीं चलता | १०) आजीवन झूठ का संपूर्ण त्याग।
११) ब्रह्मचर्य पालना असंभव लगता है। | ११) साधु आजीवन अखण्ड ब्रह्मचारी
रहते हैं। १२) चोरी के कई प्रकारों का सेवन। १२) सर्वथा स्तेयवृत्ति का त्याग।. १३) पुत्र-पुत्री परिवार-प्रपंच- १३) पुत्र-पुत्री-परिवार प्रपंचादि सर्वथा व्यवहार।
नहीं है। १४) पानी-अग्नि-वनस्पति का १४) कच्चे पानी, वनस्पति-अग्नि के उपयोग।
, स्पर्श का भी त्यागी। १५) रसोई बनाकर भोजन करना। १५) जीवन में कभी भी रसोई बनाना ही
नहीं। १६) स्वयं अपनी रसोई बनाकर जीमना। १६) गोचरी-भिक्षा लाकर आहार करना। १७) अपरिमित वस्त्रादि का संग्रह करना ।। १७) सीमित-मर्यादित वस्त्र देह रक्षार्थ
रखना। १८) परिग्रह परिमाण का हिमायती। | १८) सर्वथा अपरिग्रही-त्यागी निर्मंथ। . १९) यान-वाहनों की भरमार। १९) यान-वाहन त्यागी-पादचारी,
| . पैदलविहारी। २०) पद-सत्ता प्रतिष्ठा के पीछे पागल। २०) पद-सत्ता–प्रतिष्ठा का भी
त्यागी-निस्पृही। २१) लोभ वृत्ति को बढाकर सब संग्रह . २१) निर्लोभ वृत्ति से लोभ द्वारा संग्रह न करना।
करना। २२) घर-मकान-दुकानादि २२) अपने लिए घर-मकान-दुकान बनाना-बेचना।
कुछ भी न रखें। २३) गृहस्थी आजीविका के लिए | २३) साधु को किसी भी प्रकार का व्यापार करें।
व्यापार त्याज्य है। २४) न्याय-नीतिमत्ता भी खो बैठता है। | २४) न्याय-नीति का पूरी तरह पालन
करें।
साधना का साधक - आदर्श साधुजीवन
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