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जंगल में दान दिया और सम्यक्त्व पाया और आगे जाकर २७ वें भव में अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी बना । धनसार्थवाह ने साधु मुनिराजों को घी का दान दिया और सम्यक्त्व पाकर १३ वें भव में ऋषभदेव भगवान बना । नाशवंत लक्ष्मी का सुपात्र दान में सदुपयोग करके जीवन सफल बनावें ऐसे पवित्र ध्येय से यह व्रत अवश्य आचरें। बारह व्रत के १२४ अतिचार पाँच अणुव्रत
अतिचार संख्या १. स्थूल प्राणातिपात विरमण व्रत २. . स्थूल मृषावाद विरमण व्रत ३. स्थूल अदत्तादान विरमण व्रत ४. स्थूल मैथुन विरमण व्रत ,
५. स्थूल परिग्रह परिमाण व्रत तीन गुणवत
६. दिक् परिमाण व्रत . . ७. भोगोपभोग परिमाण व्रत
८. अनर्थदंड विरमण व्रत ४ शिक्षावत
९. सामायिक व्रत १०. देशावकाशिक व्रत ११. पौषधोपवास व्रत - १२. अतिथि संविभाग व्रत
ज्ञानाचार दर्शनाचार चारित्राचार तपाचार वीर्याचार सम्यक्त्व
संलेषणा १२ व्रत के कुल
१२४ अतिचार
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आध्यात्मिक विकास यात्रा