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________________ ४भाडी-भाटक कर्म-घोडागाडी, बैलगाडी, ऊँटगाडी, ट्रक, ट्रैक्टर आदि किराए पर भाडे देने का कार्य भी न करें। ५ स्फोटक कर्म-क्षेत्र, कुँए बनाना, बावडी, तालाब खुदवाना, नहर बनवाना, बाँध बनवाना, आदि में सुरंग फोडना, बडा विस्फोट करना, खानें खुदवाना आदि व्यापार वयं हैं। जमीन खोदनी, हल चलाना, खोदना, तोडना आदि कर्म न करें । कर्मादान में ये ५ कर्म कर्मादान हैं। ५ वाणिज्य १ दंत वाणिज्य- दांतो का व्यापारादि न करना, हाथीदांत, पशु के दांत, सिंग, जानवरों के नाखून, पक्षियों के पंख, मोर पिंछ, गाय-बैल-भैंस के चमडे का तथा छिप, मोती, कस्तुरी, गोरोचन, अंबर आदि पशु जन्य वस्तुओं का व्यापार नहीं करना चाहिए। .... २लक्ष वाणिज्य-लाख धावडी, नील, मनशील, हरताल, रोगान राल,आदि पदार्थ बनाने का व्यापार न करना। : ३ रस वाणिज्य-मध (शहद), मदिरा (शराब), मांस, मक्खन, घी, दूध, दही, तेल, गुड आदि वस्तुएँ बनाने-बेचने का व्यापार न करना। तथा घासतेल, पेट्रोल आदि का व्यापार न करना। ४ विष वाणिज्य-सोमल, अफीम, मोरथुथा, वच्छनाग आदि प्राणीज विष, खनिज विष तथा औषधीय विष, कृत्रिम बनाया हुआ विष, तथा विषैली औषधियाँ फ्लीट आदि कीटाणु नाशक दवाइयाँ तथा गेस आदि बनाने-बेचने के व्यापार नहीं करना । .. ५ केश वाणिज्य- पशु-पक्षियों के बाल, रेशे रोम निकालना, उखाडना, चमरी गाय के बाल उखाडना, बालों के ब्रश आदि बनाना, स्त्री-पुरुषों के बाल आदि इकट्ठे करना, विग बनाना, बेचना, ऊन आदि का व्यापार न करना। ये पाँच प्रकार के व्यापार श्रावक के लिए वर्ण्य हैं। ५ सामान्य कर्म १ यंत्र पीलन कर्म-यंत्र, संचे, घंटी, घाणी-मशीनों के द्वारा तेल, रस निकालना, ईख, तिल, एरंडी, अलसी आदि को पीलना, तेल निकालने आदि में हिंसा का प्रमाण ज्यादा है, अतः यंत्र-मशीनें सतत चलाने का व्यापार न करें । मीलें न चलाएँ। देश विरतिधर श्रावक जीवन ६५९
SR No.002483
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year2007
Total Pages570
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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