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________________ ८ ९ १० वाहन - मुसाफरी में यहाँ से वहाँ जाने आने में गाडी - मोटर आदि का उपयोग करना, या न करना, या १-२ बार ही करना यह धारना । फिरते यान, गाडी मोटर - बस, रेलवे, प्लेन (विमान) आदि। चलते - में घोडा, ऊँट, हाथी, बैल आदि । तथा तैरते वाहन में स्टीमर - लौंच, बोट, नौका आदि की मर्यादा रखना । शयन - सोने के लिए खाट - पलंग, गादी - बिस्तर आदि तथा बैठने आदि के लिए कुर्सी, टेबल, सोफा आदि फर्नीचर की मर्यादा रखनी । सोने-बैठने के संबंधी वापरने योग्य वस्तुओं की संख्या धारना । ११ ब्रह्मचर्य - सर्वथा मैथुन सेवन न करना । दिन में न करना । आज पर्वतिथि है यह याद करके त्याग करना आदि । विलेपन - शरीर पर लगाने के लिए तेल, चंदन, अत्तर, सेन्ट, स्प्रे, तथा पीठि आदि विलेपन योग्य पदार्थों की मर्यादा या त्याग करना । १२ दिशि - दिशा - दशो दिशाओं में या अमुक दिशाओं में जाने का त्याग और अमुक दिशाओं में आज ४.... ५ माइल जाना पडेगा ऐसी मर्यादा निश्चित करना । २ . १३ `स्नान - दिनगत - रात्रिगत स्नान करूँगा तो १ या २ बार या नहीं करूँगा, यह संख्या निश्चित करनी । ४ १४ भत्त भोजन - आज दिनमें १ बार या २ बार ही इतने .. लूँगा । अधिक सबका आज के दिन त्याग । उपरोक्त १४ नियमों की धारणा प्रतिदिन करनी चाहिए साथ में षट्काय—६ काय के नियम भी धारते हैं । - १. (प्रमाण.....) में भोजन पृथ्वीकाय - कच्ची मिट्टि, निमक, चूना, सूरमा, क्षार, पत्थर, आदि आज इतना... इस्तेमाल करना, या वजन में इतना वापरना । अन्य सबका आज के दिन त्याग । अप्काय - पानी - पीने-नहाने वापरने आदि कार्य में आज के दिन सिर्फ २, या १०, या २० या अमुक लिटर ही पानी वापरूँगा । अन्य सबका त्याग | तेउकाय — अग्निकायिक जीवों की विराधना मैं आज के दिन, २-४ लाइटें, जलते कोसले, गेस, दीपक इतने ही वापरूँगा ...... अन्य सभी का त्याग । वायुकाय - वायुकायिक- जीवों की विराधना कम हो इसलिए आज पंखा, एयर कंडीशनर, झूला आदि का मैं १-२ या ४ बार ही उपयोग करूँगा, अन्यथा नहीं करूँगा । देश विरतिधर श्रावक जीवन ६५७
SR No.002483
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year2007
Total Pages570
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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