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________________ १४ नियम धारणा की समज इस श्लोक में १४ वस्तुएँ गिनाई हैं। इन १४ वस्तुओं की धारणा प्रतिदिन करनी चाहिए। यह धारणा संख्या में, वजन में, तथा लंबाई आदि के रूप में करते हैं। जो वस्तु सर्वथा नहीं वापरनी हो उसका त्याग करें, और जो वापरनी है उसका प्रमाण धारें । और फिर रोज का पच्चक्खाण करें । 1 १ २ ४ ५ सचित्त- दव्व विगइ तंबोल वत्थ कुसुमेसु । वाहण-सयण-विलेवण-बंभ दिसि न्हाण भत्तेसु ॥ I ३ विगई - मध मांस-मदिरा और मक्खन इन ४ महा विगईयों का तो आजीवन त्याग ही करना है । परन्तु घी, दूध, दही, तेल, मिठाई, तथा तली हुई इन ६ सामान्य विगईयों में से आज मुझे कितनी (२-३) खानी है और (३ - ४ ) कितनी त्याग करनी है वह धारना । इन ६' विगईओं में से प्रतिदिन क्रमशः २-४ त्याग रेखें । ७ ६५६ सचित्त - सजीव फल-फूल तरकारियाँ आदि सचित्तों का प्रमाण (संख्या में तथा वजन में धारण करना चाहिए। आज सिर्फ ये ही २, ४, ५ सचित्त वस्तु इतने प्रमाण में वापरनी अन्य का त्याग । दव्व - द्रव्य दिन में जितनी वस्तु मुँह में डालते हैं, खाते हैं उन द्रव्यों की संख्या धारना । पानी दूध आदि द्रव्य... आज मैं इतनी संख्या (४, ५, ७) में ही वापरूँगा । ज्यादा नहीं । वाणह - ( उपानह) - बूट - चप्पल, स्लीपर - सैंडल -मोजे आदि की मर्यादा निश्चित करनी । कि आज १ ही पहनूँगा । दूसरा नहीं । तंबोल - पान-सुपारी, इलायची, तज - लविंग, धाने की दाल तथा सोंफ आदि दिन में १ बार ही, या २ बार ही खाऊँगा, या बिल्कुल ही नहीं खाऊँगा । इस तरह संख्या प्रमाण करें । वस्त्र- दिन में रात्रि में पहनने ओढने आदि के कपड़ों की जोडी की संख्या की मर्यादा बांधना कि मैं आज दिन में तथा रात में इन १ (२ या ४) कपडों से अधिक नहीं पहनूँगा । कुसुम - फुल सूँघने या वापरने हेतु पुष्पादि तथा आदि से सौंदर्य प्रसाधन के स्नो-क्रीम - पाउडर कंकु आदि लेना । इसका उपयोग करना या न करना या, १ - २ बार करना यह धारें । वह भी प्रमाण में 1 1 आध्यात्मिक विकास यात्रा
SR No.002483
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year2007
Total Pages570
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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