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३ बरफ और करा (ICE)- जहाँ पानी की एक बूंद में भी असंख्य एकेन्द्रिय जीव हैं। तथा चलते फिरते त्रस जीव भी अनेक हैं । आधुनिक विज्ञान ने सूक्ष्म दर्शक यंत्र से ३६४५० की संख्या तो गिनी है । अब पानी का बरफ बनने से वे सभी उस में दबकर मर जाएंगे । अतः हिंसा का त्याग करने की दृष्टि से ये त्याज्य हैं । वैसे ही आकाश से बारिश में गीरे करे (ओले) जो बरफ स्वरूप ही है उनका त्याग करें । अतः बरफ और बरफ के बने पदार्थ का भी त्याग करना चाहिए।
विषत्याग(Poison)- जहर-विष मारक है । प्राण हारक है । खनिज विष, सोमल, अफीम, कूचला, धतुरा, वच्छनाग, आकडा आदि का वनस्पतिजन्य विष तथा साँप, बिच्छु, छिपकली, आदि का प्राणीज विष, तथा मानव सर्जित औषधियाँ, केमिकल का तथा मिश्र विष, एवं जन्तु मारने की विषैली दवाईयाँ आदि के विष का त्याग करने की प्रतिज्ञा करनी। सर्व प्रकार की मिट्टियाँ सचित्त होने से अभक्ष्य है। .
रात्री भोजन का त्याग- रात को भोजन बनाना तथा खाना निषिद्ध है । सूर्यास्त के बाद असंख्य सूक्ष्म जीव जन्तु उत्पन्न होते हैं। उन्हें बिजली का प्रकाश बाधक नहीं लगता, अनेक संपातित जीवों की हिंसा भी होती है। अतः अहिंसक, व्रतधारी को रात्रिभोजन छोडना चाहिए । शास्त्रकारों ने रात्रिभोजन को नरक का द्वार कहा है। रात को खाने से उल्लु, कौवा, बिल्ली आदि के जन्म मिलते हैं । जीवनरक गति में जाता है । अनेक जीव हिंसा के कारण रात्री भोजन में ज्ञानीओं ने पाप कहा है । अतः त्याज्य है ।
बहुबीज अभक्ष्य-जिसमें अगणित (बहुत) बीज हैं ऐसे बहुबीज पदार्थ जैसे-हरा अंजीर, सुखा अंजीर, खसखस, पेरू, पंपोटा, करमदे, टीमरु, कोठींबडा, बेंगनादि, राजगरों, पटोल, रींगणां आदि असंख्य अगणित बीजोंवाले पदार्थ होने से त्याज्य हैं । अन्य त्रस जीवों की हिंसा होने से त्याज्य हैं।
संधाण (बोल) अचार- अनेक वस्तुओं के अनेक प्रकार के अचार बनाए जाते हैं । जीभ के स्वाद के लिए अचार का सेवन बहुत लोग करते हैं । परन्तुं सभी अचार को अभक्ष्य नहीं कहा है । जो बोल (संधाण) अचार हैं वे त्याज्य हैं। जैसे आम्रवेल, कच्चे आम(केरी) का, पाडल का, नींबु का, गुंदा, करडा, करमदे, ककडी, डाला, हरी–काली मिर्च, चिभडा, हरी मिर्च आदि के तथा कई लोग अनन्तकाय के भी अचार बनाते हैं। जैसे-अदरक, हरी हल्दी, गरमर, गाजर, कुंवार, मोथ आदि के भी कई प्रकार के अचार बनाते हैं, पंचुदुम्बर फल, हरा बेल फल, वांस के मूल के, आदि सैकडों जाति के अचार
देश विरतिधर श्रावक जीवन ,
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