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नहीं, मोह-मूर्छा कम ही न हो और किंमती मनुष्य भव बिगड जाय । इससे बचने के लिए अनन्तज्ञानी सर्वज्ञ प्रभु ने श्रावक के लिए परिग्रह (संग्रह) की मर्यादा करने के लिए, मोह-मूर्छा कम करने के लिए परिग्रह परिमाण का पाँचवा व्रत बताया है । सर्वथा परिग्रह का त्याग ही करना है और निष्परिग्रही-अपरिग्रही ही बनना है ऐसा नहीं है । वह तो महाव्रत साधु जीवन के लिए है । जबकि गृहस्थ के लिए तो ९ प्रकार के पदार्थों का परिमाण करना, कुछ मर्यादा बांधनी यह परिग्रह परिमाण रूप व्रत का स्वरूप बताया है।
धण-धन-खित्त-वत्थुरूप्प-सुवन्ने अकुविअ-परिमाणे।
दुपये-चउप्पयम्मि, पडिक्कमे देवसिअंसव्वं । - धन, धान्य, क्षेत्र (भूमि), वास्तु (घर-दुकानादि), चांदी, सोना, कांसा, पित्तलादि धातु, द्विपद-मनुष्य नोकर-चाकर, चतुष्पद-गाय-बैलादि पशु इत्यादि ९ प्रकार के परिग्रह का त्याग करना है । इस त्याग करने रूप व्रत में कोई दोष लगे हो दिन संबंधी कोई अतिचार लगे हो उसकी क्षमायाचना के साथ प्रतिक्रमण करता हूँ। १ धन- रुपया-पैसा कितना रखना है? इसका प्रमाण रखें, तथा
हीरा-मोती झवेरात का भी प्रमाण करना। २ धान्य-१ वर्ष के लिए धान्य, अनाज-कठोल-कितना रखना इत्यादि प्रमाण
करना।
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क्षेत्र-स्थावर मिल्कत में, प्लोट, जमीन, खेत, आदि का प्रमाण निश्चित करना। ४ वास्तु-घर-दुकान, ओफीस, गौडाउन, गांव इत्यादि की संख्या बांधनी । ५ रूप-६ सुवर्ण-चांदी-सोने की धातु कितने प्रमाण में रखनी? इनके बने हुए
दागिने-गहने कितने रखने? या सब मिलाकर सोने-चांदी के गहने-बर्तन कुल
कितने रुपए के स्वमालिकी के रखने? इस तरह प्रमाण निश्चित करना। ७ कुप्यादि-सोने-चांदी सिवाय की धातु-कांसा, पित्तल, लोखन, कलई, झींक,
शीशा आदि धातु कितनी रखनी? या कितने रुपए तक की रखनी? की मर्यादा ___ बांधनी, या इनके बर्तनादि वस्तुओं की संख्या के रूप में मर्यादा बांधनी चाहिए।
द्विपद-द्वि = दो, पद = पैर, दो पैरवाले पक्षी घर में पिंजरे में बांधना रखना आदि का त्याग करना। नोकर चाकर, सेवक आदि की संख्या का प्रमाण बांधना । चतुष्पद- चार पैरवाले पशु-जानवर कितने रखना? गाय, भैंस, हाथी, घोडा, ऊंट, बैल, पाडे, बकरी, कुत्ते, आदि जानवर कितनी संख्या में रखना यह प्रमाण निश्चित करना चाहिए।
देश विरतिघर श्रावक जीवन
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