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________________ १. देव-गुरु-धर्म के सोगन नहीं खाना । २. कन्या-स्त्री-पती-पत्नी संबंधी झूठ नहीं बोलना। ३. किसी पर भी झूठा आरोप नहीं डालना। ४. गाय-भैंस आदि पशु पंक्षी संबंधी झूठ नहीं बोलना। ५. भूमि-मकान-बाग-बगीचे आदि संबंधी झूठ नहीं बोलना। ६. किसी को झूठी सलाह-शिक्षा न देना। ७. झूठे दस्तावेज-हिसाब आदि न लिखना। ८. किसी के भी विषय में झूठी साक्षी न देना। ९. किसी की थापण विश्वासघात से दबा नहीं लेना। १०. किसी के प्रति विश्वासघात नहीं करना । ११. किसी की गुप्त बातों को प्रकट नहीं करना। १२. कभी भी किसीको गलत रास्ता नहीं बताना। १३. राज्यादि विरुद्ध झूठ नहीं बोलना। १४. किसी पर कलंक देने की रीत से झूठ नहीं बोलना। १५. पराई झूठी निंदा नहीं करना। १६. अपने में गुण न होते हुए भी व्यर्थ प्रशंसा न करना। १७. अनर्थ होवे ऐसी भाषा न बोलते हुए मौन रहना। १८. लेन-देन के व्यवहार में असत्य का सेवन न करें। १९. हँसी-मजाक-विनोद में भी झूठ नहीं बोलना। २०. किसीको भी किसी प्रकार की गाली नहीं देना। ..... २१. निरपराधी फँस जाय, उसे सजा हो ऐसा झूठा आरोप न डालें। २२. दस्तावेज लेखादि लिखकर बदल नहीं जाना। २३. गरीबों का शोषण करते हुए ज्यादा वेतन तय करके कम न देना, और कम देकर ज्यादा न लिखवाना। २४. शास्त्र-सिद्धान्त के विपरीत न बोलना। २५. कोर्ट-कचेरी में भी झूठ न बोलना और झूठी साक्षी न देना। देश विरतिघर श्रावक जीवन ६३३
SR No.002483
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year2007
Total Pages570
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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