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देव, गुरु या धर्म किससे उद्धार ? -
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सम्यग् दर्शन के केन्द्र में .. वीतरागी देव, वैरागी गुरु और विरति प्रधान धर्म ये तीन अंग कारणभूत है । आधारभूत है । अतः इसे तत्त्वत्रयी कहा है। देव गुरु और धर्म इन तीन तत्त्वों पर सारा आधार है। शेष सब कुछ इन तीन का ही विस्तार है । देवतत्त्व देवाधिदेव वीतरागी सर्वज्ञ परमात्मा स्वरूप तीर्थंकर भगवान है। उन्हीं के मार्ग पर चलनेवाले .. ज्ञानी–गीतार्थ वैरागी.. गुरु भगवंत हैं । और परमात्मा को ही अनुसरनेवाले हैं। अतः गुरु तथा धर्म दोनों का आधार तो परमात्मा पर ही आधारित है । अतः देव तत्त्व ही केन्द्र में है । गुरुतत्त्व उनके अनुगामी है । और धर्मतत्त्व का भी आधार देवाधिदेव प्रभु पर ही आधारित है । गुरु धर्म प्रवर्तक तथा संस्थापक नहीं हैं । वे स्वयं धर्म आधारक — उपासक हैं । जब कि एक मात्र परमात्मा तीर्थंकर ही धर्मप्रवर्तक-संस्थापक है । उन्होंने ही धर्म की स्थापना की है। वे ही सर्वज्ञ - वीतरागी तीर्थंकर परमात्मा है । अतः धर्मसंस्थापना करने का तथा प्रवर्तन - प्ररूपणा करने का मूलभूत अधिकार उनका ही है । सर्वज्ञ होने के कारण ज्ञानादि क्षेत्र में पूर्णता रहती है । और वीतरागता चरम कक्षा की है । अतः धर्म का स्वरूप कहने में किसी प्रकार के दोष की संभावना ही नहीं रहती है । अतः ऐसा शुद्धतम श्रेष्ठ धर्म प्राप्त करना है। परम सौभाग्य प्रबल पूर्वसंचित पुण्योदय से ऐसे धर्मतत्त्व की प्राप्ति होती है। वह भी गुरुओं से होती है। स्वयं जिन गुरु भगवंतो ने धर्म का शुद्ध आचरण किया है, करते रहते हैं वही धर्म हमारे जैसे शिष्यों- भक्तों को देते हैं । अतः गुरु बीच के माध्यम रूप है। जैसे एक डाकिया डाक लाकर देता है । परन्तु डाक का लिखनेवाला कोई तीसरा ही है, डाकिया लेखक नहीं है । डाकिये ने सिर्फ पत्र लाकर दिया है। अतः वह बीच का माध्यम मात्र है । ठीक उसी तरह देवाधिदेव सर्वज्ञ भगवंत ही धर्म के प्रवर्तक-संस्थापक - आद्यप्ररूपक गिने जा सकते हैं। गुरु भगवंत उसी धर्म का आचरण करते हुए सामान्य शिष्यों-मुनियों- भक्तों को भी वही धर्म देना–सिखाना-कराना आदि का कार्य गुरुओं का ही रहता है । अतः गुरु भक्त और भगवान के बीच के माध्यम है । डाकिये के जैसे माध्यम है ।
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आखिर जीव का उद्धार - कल्याण किससे होगा ? क्या मात्र भगवान से होगा ?
I तो मात्र गुरु से होगा ? जी नहीं । धर्म ही प्रबल कारणरूप है । देवाधिदेव प्रभु के पास भी हम चले जाय, लेकिन वे क्या जादू चमत्कार करेंगे ? जी नहीं । भगवान हाथ पकडकर किसी भक्त को मोक्ष में ले नहीं गए। ले भी नहीं जाते हैं । आखिर भगवान
देश विरतिधर श्रावक जीवन
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