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________________ प्रदूषण रहित शुद्ध हवा-पानीवाले एवं शान्तवातावरणवाले MINI HILL STATION स्वरुप वीरालयम् जैन तीर्थ की पहाडी भूमि की तलेटी में वीशस्थानक यन्त्रमय महाप्रासाद निर्माण हो रहा है। मुंबई से कात्रज - बायपास पर सिर्फ २ घंटे के अन्तर पर है। पुना रेल्वे स्टे. से सिर्फ २४ की.मी. तथा स्वारगेट बसस्थानक से सिर्फ १२ की.मी. है। वीशस्थानक के इस महाप्रासाद में २० मंदिरों की रचना इस प्रकार है - १) अरिहंत मंदिर :- इस वीशस्थानक महाप्रासाद के केन्द्र में वृत्ताकार समवसरण. बना है। चारों तरफ प्रवेश द्वार वाले डॉम को ऊपर से ३ गढ का आकार देकर समवसरण की रचना की गई है। ऊपर के गढ में चौमुखजी के ४ बडी बडी प्रतिमाजी प्रतिष्ठित होगी। मरगज रत्न के कीमति पाषाण में चार विविध रंग की ४१ इंच की मूर्ति गादी भामंडल परिकरादि युक्त ८१ इंच की विशाल चारों प्रतिमाजी चौमुखजी के रुप में बिराजमान होगी। “भाव जिणा समवसरणत्था"शास्त्र पाठानुसार भावजिन के रुप में समवसरण में प्रभुजी बिराजमान होंगे । सिद्धमंदिर ३) प्रवचन मंदिर ४) आचार्य मंदिर ५)स्थवीर मंदिर ६)उपाध्याय मंदिर ७)साधु मंदिर ८)ज्ञान मंदिर ९) दर्शन मंदिर १०)विनय मंदिर ११)चारित्र मंदिर १२)ब्रह्मचर्य मंदिर १३)क्रिया मंदिर १४) तप मंदिर १५) गणधर मंदिर १६) जिन मंदिर १७) संयम मंदिर १८)अभिनवज्ञान मंदिर १९) श्रुत मंदिर २०) तीर्थ मंदिर । सभी के उपर ध्वजा लहराई जाएगी। प्रत्येक मंदिर में पदानुसार विविध रंगों की मरगज रत्न की सुंदर मूर्तियां स्थापन होगी। ११ फुट उंचा गभारा तथा १४ फुट का ऊपर शिखर कुल मिलाकर २५ फुट का बडा विशाल एक-एक मंदिर बनेगा। गम्भारे की दिवाल पर परिकरादि के रुप में गुणों का विवरण रहेगा। __मध्यवर्ती समवसरण के केन्द्र में वीशस्थनाक कमलाकार मंदिर की अद्भूत रचना होगी। बीसों पदानुसार मरगज रत्न की प्रतिमाजी बिराजमान होगी। ___ मुख्य प्रवेश द्वार पर बडा विशाल वीशस्थानक यंत्र रहेगा। नीचे के भोयरे (भूमिगृह-तलगृह) में भी जाप ध्यान साधना कर सकेंगे। वीशस्थानक तप करनेवाले आराधक तपस्वी इस तीर्थ में आकर वीशस्थानक मंदिर में बीसों पदों की पूजा भक्ति तथा वीशस्थानक महापूजनादि पढाकर, महोत्सवादि करके पारणा कर सकेंगे। - इस अवनितल पर आज की दुनिया में सर्वप्रथम कक्षा का एक अद्भूत-अनोखा नए प्रकार का वीशस्थानक मंदिर निर्माण हुआ है। प्रत्येक आराधक भाग्यशाली यात्रा करने पधारने का रखें । वीशस्थानक तप की पूर्णाहूति के प्रसंग पर यहां आकर यात्रा-पूजन उजमणा-महोत्वादि करके पारणा करने का रखें । श्री वीशस्थानक यंत्रमय महाप्रासाद - वीरालयम् जैन तीर्थ फोन नं. 24137874 मुंबई-पुना, कात्रज बायपास, आंबेगांव (खुर्द) पो. जांभुलवाडी - पुणे - ४६ PUNE - 411046
SR No.002483
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year2007
Total Pages570
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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