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________________ को ही विशेष रूप से जानना यह ज्ञान कहलाता है । यह प्रक्रिया छद्मस्थ-कर्मग्रस्त संसारी जीव को प्रथम सामान्योपयोगी दर्शन और फिर विशेषोपयोगी ज्ञान रूप होता है । अर्थात् दर्शन में पहले वस्तु का सामान्याकार बोध होता है, और ज्ञान में उसी का विशेषाकार बोध होता है । छद्मस्थ संसारी जीव को पहले दर्शन और बाद में ज्ञान होता है । अर्थात् कर्मावरण से दबी हुई आत्मा को प्रथम दर्शन का उपयोग और बाद में ज्ञान का उपकोग होता हैं, परन्तु घाती कर्मावरण रहित केवली सर्वज्ञ को प्रथम समय केवल ज्ञान होता है । और दूसरे समय केवल दर्शन होता है, यह एक समय स्थिति वाला होता है । किसी भी एक काम को करते समय भिन्न-भिन्न वस्तु के सम्बन्ध में साकार और निराकर दो प्रकार के उपयोग होते हैं । परन्तु बे सभी हमारे ख्याल में नहीं आते हैं। जिनके उपयोग ख्याल में आने जैसे स्पष्ट होते हैं वे साकारोपयोग कहलाते हैं । और प्रवर्तमान होसे हुए भी ख्याल में न आए ऐसे उपयोग को निराकारोपयोग कहते है । व्यक्त-स्पष्ट उपयोग को साकारोपयोग कहते हैं, और अस्पष्ट-अव्यक्त उपयोग को निराकारोपयोग कहते हैं । पांचों इन्द्रियों और छटे मन की सहायता से जो-जो उपयोग प्रवर्तमान होते है तथा उनके उपयोग का जो आकार दूसरे भी समझ सके ऐसे स्पष्ट हो, उन्हें साकारोपयोग (ज्ञान) कहते हैं। तथा उन्हीं पांच इन्द्रियों एवं छटे मन से उपयोग प्रवर्तमान होते हुए भी जिसका आकार स्पष्ट नहीं होता है उसे निराकारोपयोग कहते हैं । यह निराकारोपयोग अर्थात् एक प्रकार का निर्विकल्प ज्ञान ही है, और साकारोपयोग सविकल्प ज्ञान होता हैं। दोनों ही उपयोग ज्ञान की ही जाति है, परन्तु साकार ज्ञान और निराकार ज्ञान के भेद स्पष्ट करने के लिए साकार को "ज्ञान" शब्द से और निराकार को “दर्शन" शब्द से शास्त्रों में वर्णित किया है । दर्शन भी एक प्रकार का ज्ञान ही है, परन्तु साकार स्पष्ट न होने से निराकार निर्विकल्प होने से उसे “दर्शन" कहा है। २. अवधि दर्शन दर्शन तीन प्रकार का कहा है-१. इन्द्रिय दर्शन ३. केवल दर्शन । दर्शन . | २ अवधिदर्शन इन्द्रिय दर्शन केवल दर्शन चक्षुदर्शन अचक्षदर्शन कर्म की गति न्यारी
SR No.002480
Book TitleKarm Ki Gati Nyari Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherJain Shwetambar Tapagaccha Sangh Atmanand Sabha
Publication Year
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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