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________________ गया है। इस तरह मिथ्यात्त्व, अविरति, प्रमाद, कषाय और योग ये पांचो प्रमुख रूप से कर्म बंध के हेत् है। इनसे कर्म का बंध होता है। अर्थात् आश्रव मार्ग से आत्म प्रदेश में प्रविष्ट की हुई कार्मण वर्गणा जो पुद्गल परमाणु स्वरूप है उनका आत्मा के साथ एक रस होना, क्षीर-नीरवत् या तप्त-अयः पिण्डवत् एक भाव होना बंध कहलाता है । यह बंध ४ प्रकार का है। बंध के ४ प्रकार : - स बन्ध ।।८-३।। प्रकृति-स्थित्यनुभाव-प्रदेशाल्ताद्विधयः ।।८-४।। कार्मण वर्गणा के पुद्गल परमाणुओं का आत्म प्रदेशों के साथ एकरसी भाव होकर परस्पराश्लेष रूप से रहना ही बंध है । उमास्वाति महाराज ने तत्त्वार्थधिगम सूत्र में यह बन्ध चार प्रकार का बताया है। - बंध संध - प्रकृति, स्थिति, रस (अनुभाग), प्रदेश बंध इन चारों के अर्थ को समझाते हुए नवतत्त्व में कहा है कि - पयई सहावो वुत्तो, ठिई कालावहारणं। .. अणुभागो रसो णेओ, पएसो दल संचओ।। प्रकृति का अर्थ है स्वभाव। किस पदार्थ का कैसा स्वभाव है? इसके आधार पर कर्म की प्रकृतियों का कैसा स्वभाव है? क्या उनकी प्रकृति है? यह बात प्रकृति बंध के आधार पर कही जाएगी। स्थिति बंध में आत्मा के साथ लगे हुए कर्मबंध की काल स्थिति अवधि Time Limit कही जाएगी। अनुभाग का अर्थ है - "सत्यां स्थितौ फलंदान क्षमात्वादनुभाव बन्धः” अर्थात् कर्म की स्थिति रहते हुए कर्मो का शुभ-अशुभ फल कैसा मिलेगा? उसका निर्णय अनुभाग बंध के आधार पर है। "कर्म पुद्गल परिणाम लक्षणः प्रदेश बंधः” कार्मण वर्गणा के पुद्गल परमाणुओं का प्रमाण कितना है यह प्रदेश बंध है। इस तरह ये मुख्य चार प्रकार के बंध हुए। जीव प्रदेशों के साथ कार्मण पुद्गलों का जब बंध होता है तब चार वस्तुओं का मुख्य रूप से निर्णय होता है । वे हैं प्रकृति-स्थिति-रस और प्रदेश। उदाहरण के लिए समझीए कि नव निर्माण हो रहे मकान का एक सीमेन्ट का खंभा बन रहा है। अतः सीमेंन्ट का स्वभाव विशेष कैसा है? गरम है या ठंड़ा है? या कैसा स्वभाव है यह देखना प्रकृति है। बना हुआ स्तम्भ कितने काल तक टिकेगा? कितने वर्षों तक रहेगा यह स्थिति हुई। स्थिति काल के आधार पर निर्भर करती है। तीसरे प्रकार में रस देखा जाय कि - खंभा बनाने में सीमेन्ट मे क्या रस मिलाया जाता है? कर्म की गति नयारी (१४४)
SR No.002477
Book TitleKarm Ki Gati Nyari Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherMahavir Rsearch Foundation Viralayam
Publication Year2012
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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