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विषय-सूची | ४६
आठ कर्मों के क्रम का रहस्य १७३, आठ कर्मों की उत्तरप्रकृतियाँ १७४, कर्मों की स्थिति १७४, कर्मों का फल विपाक १७५, लेश्या
१७७, कर्मों की दस अवस्थाएँ १७८ । १३. मोक्षवादः कर्मों से सर्वथा मुक्ति
१८२-२०२ आत्मवाद आदि का लक्ष्य : मोक्ष प्राप्ति १८२, मोक्ष प्राप्ति के साधन १८३, तपस्या के भेद और ध्यान साधना १८३, ध्यान के भेद-प्रभेद १८३, आर्तध्यान १८४, रौद्रध्यान १८३, धर्मध्यान
और उसके चार भेद १८४ संस्थान विचय : धर्मध्यान के चार भेद १८४, पिण्डस्थ ध्यान १८५, पार्थिवी धारणा १८५, आग्नेयी धारणा १८५, मारूती धारणा १८६, वारुणी धारणा १८६, तत्वरूपवती धारणा १८३, पदस्थ ध्यान १८६, रूपस्थ ध्यान १८६, रूपातीत ध्यान १७८, शुक्ल ध्यान के भेद १८८, मुक्ति की प्रक्रिया अधिकाधिक निर्जरा १८६, मुक्त आत्मा पुन : कर्ममल से लिप्त नहीं होता १६०, मुक्तावस्था का सुख और संसारी-सुख १६०, मोक्ष का शाश्वतत्व १६१, मुक्त आत्मा का पुनरागमन नहीं होता १६३ मोक्ष में आत्मगणों का नाश नहीं १९४, मक्त जीवों की ऊर्ध्वगति कैसे १६४. मोक्ष प्राप्ति किसको ? १६७, मोक्ष प्राप्ति के प्रथम चार दुर्लभ अंग १९७, मोक्ष प्राप्ति कब होती है ? १६८, मोक्ष प्राप्ति कहाँ से होती है । १६८, एक सिद्धावगाहना में अनन्त सिद्ध १६८, कर्ममुक्त आत्माओं को अष्ट गणों की उपलब्धि १६६, कर्म मुक्त होने वाले साधकों की श्रेणियाँ १६६, मोक्ष प्राप्ति के लिए आध्यात्मिक विकास क्रम-चौदह गुणस्थान २०० । सप्तम कलिका
२०३-२४६ १४. अस्तिकायधर्म-स्वरूप
२०३-२४६ लोक के सभी पदार्थों का छह भागों में वर्गीकरण २०३, अस्तिकाय की परिभाषा २०४, अस्तिकायधर्म २०५, अस्तिकायधर्म के विविध अर्थ २०५, वास्तविकतावाद और उपयोगितावाद २०६, षड्द्रव्यों का लक्षण २०८, द्रव्यों का अस्तित्वनिर्णय २१२, [१-२] धर्मद्रव्य और अधर्मद्रव्य २१२, [३] आकाशास्तिकाय २१५, [४] कालद्रव्य २१७, कालद्रव्य के विषय में दो मत २१७, [५] पुद्गलास्तिकाय २१६, [६] जीवास्तिकाय २२०, षड्द्रव्यों का मूल्य निर्णय २२१, मूल्यनिर्णय के तीन प्रकार २२१, षडद्रव्यों का स्वरूप निर्णय २२१, [१] धर्मास्तिकाय २२१, [२] अधर्मास्तिकाय २२२, [३] आकाशास्तिकाय २२३, [४] कालद्रव्य २२६, काल के चार प्रकार २२६,