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विषय-सूची | ४७
पच्चीस
६७ आस्रव के दो प्रकार ६७, आस्रव के २० द्वार ६७, क्रियाएँ ६७, (६) संवर तत्व ६७ संवर का लक्षण 8८, संवर के दस भेद ६८, संवर की सिद्धि ८ संवर के ५७ भेद ६८, संवर के दो मुख्य प्रकार ६८, संवर के पाँच प्रकार ६८, (७) निर्जरा तत्त्व ६६ निर्जरा का स्वरूप ६६, निर्जरा के दो प्रकार १००, निर्जरा का उपाय १०० (८) बन्ध तत्त्व १००, कर्म के भेद १००, कर्म बन्ध के प्रकार १०१ (१) प्रकृितबन्ध १०१ ( २ ) स्थितिबन्ध १०१ (३) अनुभाग बन्ध १०१ (४) प्रदेशबन्ध १०२, (६) मोक्षतत्त्व १०२, मोक्ष प्राप्ति के कारण १०२, नो तत्त्वों का श्रद्धान- ज्ञान १०६, सम्यक्दर्शन के विकास एवं दृढ़ता के लिए आठ आचार १०६, ( १ ) निःशंकता १०६ (२) निष्कांक्षता १०३, (३) निर्विचिकित्सा ११३, [४] अमूढदृष्टित्व १०३, [५] उपबृंहण १०४ [६] स्थिरीकरण १०४, [ ७) वात्सल्य १०४, [ ८ ] प्रभावना १०४ ।
छठी कलिका
१०. आत्मवाद, लोकवाद, कर्मबाद, क्रियावाद (सम्यग्दर्शन के सन्दर्भ में)
'आस्तिक्य' शब्द का निर्वचन १०५, आस्तिक्य के चार सुदृढ़ स्तम्भं चार वाद - आत्मवाद, लोकवाद, कर्मवाद और क्रियावाद १०६, चारों वाद परस्पर सम्बद्ध १०६, क्रियावाद- अक्रियावाद १०६ आत्मवाद सम्बन्धी विचार १०७, कर्मवाद सम्बधी मान्यताएँ १०६ । आत्मवाद : एक समीक्षा ११० परोक्ष होने पर भी आत्मा का अस्तित्व है १११, आत्मा के अस्तित्व में साधक तर्क १११, [१] स्वसंवेदन ११२, [२] उपादान कारण १२१ [३] अत्यन्ताभाव १२१ ज्ञ और आत्मा का भिन्नत्व ११२, [५] साधक और साधन का पृथक्त्व ११३, [३] स्मरणकर्ता आत्मा है ११३, [७] संकलनात्मक ज्ञान का ज्ञाता ११३, [5] पूर्वसंस्कार एवं पूर्वजन्म की स्मृति ११४, [६] सत्प्रतिपक्ष ११४ [१०] बाधक प्रमाण का अभाव ११४ ( ११ ) सत् का निषेध ११४, ( १२ ) संशय ही आत्म - सिद्धी का कारण ११४, (१३) गुण द्वारा गुणी का ग्रहण १५१ (१४) विशेष गुण द्वारा स्वतंत्र अस्तित्व बोध ११५, (१५) द्रव्य की कालिकता ११५, (१६) विचित्रताओं के कारणभूत कर्म से आत्मा की सिद्धि ११५, आत्मा का स्वरुप ११५, अन्य दर्शन के अनुसार आत्मा का स्वरुप ५१५, शरीरमय आत्मा ११६, प्राणमय आत्मा ११६, मनोमय आत्मा ११७, विज्ञानमय प्रज्ञानमय आत्मा ११७, आनन्दमय आत्मा
१०५ -२०२
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