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________________ ४६ | विषय - सूची चतुर्थ कलिका ८. श्रुतधर्म का स्वरूप ( सम्यक्ज्ञान के सन्दर्भ में ) ५३–७० ५३–७० धर्म शब्द के दो अर्थ ५३, सम्यग्दर्शन -ज्ञान- चारित्र का समन्वय मोक्ष मार्ग ५४, श्रुत और चारित्र धर्म का घनिष्ठ सम्बन्ध ५५, श्रुतधर्म: स्वरूप और विश्लेषण ५५ श्रुत के विभिन्न अर्थ ५६, श्रुतधर्म के दो प्रकार ५७, द्रव्यश्रुत और भावश्रुत ५७, सम्यक्ज्ञान क्या और कैसे ? ५६, सम्यक् श्रुत एवं मिथ्या श्रत ६०, सम्यक्ज्ञान के प्रकार ६१, (१) मतिज्ञान ६१, मतिज्ञान के ३४० भेद ६१, (२) श्रुतज्ञान स्वरूप और प्रकार ६२, ( १ ) अक्षरश्रुत ६३, (२) अनक्षरत ६३ (३) संज्ञिश्रुत ६४, ६३, (४) असंज्ञिश्रुत ६३, (५) सम्यकश्रुत ६३, चार मूलसूत्र परिचय ६३, उत्तराध्ययन सूत्र ६३. दशवेकालिक सूत्र ६४, नन्दीसूत्र ६४, अनुयोग द्वार ६४, चार छेदसूत्र परिचय ६४, दशाश्रुतस्कन्ध ६४, बृहत्कल्प सूत्र ६४, व्यवहार सूत्र ६५, कालिक सूत्र ६५, उत्कालिक सूत्र ६५, (६) मिथ्याश्रुत ६६, ७-८ सादि-अनादि श्रुत ६६, ६- १०, सपर्यवसित अपर्यवसित श्रुत ६६, ११-१२, गमिक श्रुत- अगमिक श्रुत ६६, १३ - ४१, अंगप्रबिष्ट और अंगबाह्य श्रुत ६७, सम्यकशास्त्र स्वरूप, महत्व और कसौटी ६७, (३) अवधिज्ञान ६६, (४) मनः पर्यव ज्ञान (५) केवलज्ञान ७० । पंचम कलिका ६. सम्यग्दर्शन - स्वरूप ( श्रुतधर्म) व्यवहार सम्यदर्शन का लक्षण ७१, सम्यग्दर्शन में स्वानुभूति आवश्यक ७४, निश्चय और व्यवहार सम्यग्दर्शन का समन्वय ७५, सात और नौ तत्त्वों का रहस्य ७६, तत्त्वभूत पदार्थ सात ही क्यों ? ७६, अध्यात्म जिज्ञासु के नौ प्रश्न : नौ तत्त्वों का क्रम ७८, नौ तत्त्वों की विशेषता ७६, नौ तत्त्वों का स्वरूप ८०, ( १ ) जीव तत्त्व ८१, जीव का लक्षण : उपयोग, चेतना प्राणधारण ८१, जीव का स्वरूप ८३, जीवों की संख्या ८६, जीव के भेद प्रभेद ७८६, संसारी जीवों के भेद ६०, स्थावर जीवों के पांच भेद ६० त्रसजीवों के भेद-प्रभेद ६०, (२) अजीव तत्त्व ६१, अजीव तत्व के भेद ६१, [२] १२ पुण्य का अभिप्राय ६३, पुण्य के दो भेद ६३ पुण्य बन्ध केन प्रकार ९४, पुण्य फल भोगने के ४२ प्रकार ९४, पुण्य : हेय भी उपोदय भी ६५: (४) पाप तस्व ६५, पापानुबन्ध के १८ कारण ६५, पाप के दो प्रकार ६६, अठारह पापों का ८२ प्रकार से फलभोग ६६, (५) आस्रव तत्त्व ६६, आस्रव का लक्षण ६७, शुभास्रव और अशुभा -स्रव ७१-१०४ ७१-१०४
SR No.002475
Book TitleJain Tattva Kalika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1982
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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