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२३८ | जैन तत्त्वकलिका : सप्तम कलिका चेतनत्व (जीवद्रव्य के विशेष गण) तथा (१५) अमूर्तित्व-यह विशेष गुण धर्म, अधर्म, आकाश, काल और जीव इन पांचों द्रव्यों का है। (१६) अचेतनत्व-अचेतनता-जडता । यह धर्म, अधर्म, आकाश, काल और पुद्गल, इन द्रव्यों का विशेष गुण है। छह द्रव्यों के गुणों में साधर्म्य-वैधर्म्य
छह द्रव्यों के गुणों में साधर्म्य-वैधर्म्य जानने के लिए १२ विकल्प हैं(१) परिणाम, (२) जीव, (३) मूत (रूपी) (४) सप्रदेश, (५) एक, (६) क्षेत्र, (७) क्रिया, (८) नित्य, (६) कारण, (१०) कर्ता, (११) सर्वव्यापी, (१२) एकत्व-पथक्त्व-अप्रवेश ।'
छह द्रव्यों पर ये गुण इस प्रकार घटित होते हैं
(१) निश्चयनय से सर्वद्रव्य परिणामी हैं, किन्तु व्यवहारनय से जीव और पुद्गल दोनों द्रव्य परिणामी हैं, धर्म, अधर्म, आकाश और काल, ये चारों द्रव्य अपरिणामी हैं।
(२) छह द्रव्यों में एक द्रव्य जीव है, शेष पांचों द्रव्य अजीव है।
(३) छह द्रव्यों में एक पुद्गल द्रव्य रूपी (मूर्तिक) है, शेष पांचों द्रव्य 'अरूपी (अमूर्तिक) हैं।
(४) छह द्रव्यों में एक काल द्रव्य अप्रदेशी है, शेष पांचों द्रव्य सप्रदेशी हैं।
(५) छह द्रव्यों में से धर्म, अधर्म और आकाश एक-एक द्रव्य हैं, शेष जीव, पुद्गल और काल, ये तीनों अनेक (अनन्त) हैं।
(६) छह द्रव्यों में से एक आकाश द्रव्य क्षेत्री है, शेष पांचों द्रव्य अक्षेत्री हैं।
(७) निश्चयनय से छहों द्रव्य सक्रिय (अर्थक्रियाकारी) हैं, किन्तु व्यवहारनय से जीव और पुद्गल, ये दोनों द्रव्य सक्रिय हैं, शेष चारों द्रव्य अक्रिय हैं।
(८) निश्चयनय से छहों द्रव्य नित्य भी है, अनित्य भी; किन्तु व्यवहार नय से जीव और पुद्गल की अपेक्षा से ये दोनों द्रव्य अनित्य हैं, शेष चार द्रव्य नित्य हैं।
(९) छह द्रव्यों में, एक जीव द्रव्य कारण है, शेष पांचों द्रव्य अकारण ।
१ परिणाम १, जीव २, मुत्ता ३, सपएसो ४, एग ५, खित्त ६, किरियाए ७ ।
निच्चं ८, कारण ६, कत्ता १०, सव्वंगद ११, इयर, अपवेसा १२ ॥