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________________ मोक्षवाद : कर्मों से सर्वथा मुक्ति | १८७ करे कि मैं समवसरण में विराजमान साक्षात् तीर्थंकर भगवान् को अन्तरिक्ष ध्यानमय परमवीतरागरूप में देख रहा हूँ। सिंहासन पर भगवान् छत्र, चामर आदि आठ महाप्रातिहार्य सहित विराजमान हैं। समवसरण में १२ परिषद् हैं, जिनमें देव, देवी, मनुष्य, पशु, पक्षी, साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका आदि बैठे हैं । भगवान् की धर्मदेशना (उपदेश) हो रही है। रूपातीत ध्यान-इस ध्यान में ध्याता अपने आपको शुद्ध स्फटिकमय सिद्ध भगवान् की आत्मा के समान विचार कर परमशुद्ध निर्विकल्पस्वरूप आत्मा का ध्यान करता है। शुक्लध्यान - धर्मध्यान का अभ्यास करते हुए साधक जब सातवें गुणस्थान से आठवें गुणस्थान में आता है, तब शुक्लध्यान को अपनाता है । शुक्लध्यान के मुख्यतया चार भेद हैं – (१) पृथक्त्ववितर्क-सविचार (२) एकत्ववितर्क-निविचार, (३) सूक्ष्मक्रियाप्रतिपाती और (४) व्यपरतक्रियानिवृत्ति (समुच्छिन्नक्रियानिवृत्ति)। इन चारों में से पहले दो शुक्लध्यानों का आश्रय प्रायः एक है, अर्थात्-दोनों का प्रारम्भ प्रायः पूर्वज्ञानधारी आत्मा द्वारा होता है। इसमें माषतुष आदि जैसे साधक अपवाद माने जा सकते हैं कि उन्हें बिना पूर्वज्ञान के ही शुक्लध्यान की प्राप्ति हो गई थी । यहाँ यह ध्यान रखने योग्य है कि ऐसा कोई कंठोर नियम नहीं है कि पूर्वज्ञानी के ही शुक्लध्यान का प्रारम्भ हो; पर इतना निश्चित है कि केवलज्ञान की प्राप्ति शुक्लध्यान के बल पर ही होती है। प्रारम्भ के ये दोनों,ध्यान वितर्क (श्रुतज्ञान) सहित हैं। दोनों में वितर्क का साम्य होने पर भी वैषम्य यह है कि पहले में पृथक्त्व (भेद) है, जबकि दूसरे में एकत्व (अभेद) है। पृथक्त्ववितर्कसविचार-जब ध्याता पूर्वधर हो, तब वह पूर्वगत श्रुत के आधार पर और पूर्वधर न हो तो अपने में (शुद्धात्मा में लीन) सम्भावित श्रुतज्ञान के आधार पर किसी भी परमाणु आदि जड़ में या आत्मरूप चेतन में-एक द्रव्य में उत्पत्ति, स्थिति, नाश, मत्तत्व, अमृतत्व आदि अनेक पर्यायों का द्रव्यार्थिक, पर्यायाथिक आदि विविध नयों द्वारा भेदप्रधान चिन्तन करता है। १ 'पृथक्त्वकत्ववितर्कसूक्ष्मक्रियाप्रतिपाति-व्युपरतक्रियानिवृत्तीनि ।' -तत्त्वार्थसूत्र अ० ६।४१
SR No.002475
Book TitleJain Tattva Kalika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1982
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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