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३८ | वाणी के जादूगर श्री अमरमुनि जी
बहुत ही कम है किन्तु आपकी वाणी के प्रभाव से प्रभावित जैन- अजैन सभी लोगों के सहयोग से बहुत ही थोड़े समय में वहाँ विशाल जैन हॉल का निर्माण हो गया ।
आपश्री ने पूज्य आचार्य श्री आत्माराम जी महाराज की जन्म शताब्दी वर्ष की पावन स्मृति के उपलक्ष्य में विशाल जैन आगम भगवती सूत्र ( करीब छह खंडों में ) का संपादन - विवेचन भी किया है और वह शीघ्र ही प्रकाशित हो रहा है।
प्रस्तुत कृति - जैन तत्वकलिका का नयी शैली में संपादन भी आप ही के मार्गदर्शन एवं सान्निध्य में हुआ है । इस प्रकार आप जैन धर्म, संस्कृति, साहित्य और समाज के अभ्युदय एवं कल्याण में तीस वर्षों से निरन्तर गतिशील है ।
आपके गुरुदेव परम शान्तमना नवयुगसुधारक श्री भंडारी जी महाराज स्वयं जैन संस्कृति और साहित्य के अभ्युदय में प्रयत्नशील हैं। आपके ही सत्प्रयत्न से पटियाला युनिर्वासटी में जैन चेयर की स्थापना हुई ।
हम प्रभु से यही प्रार्थना करते हैं कि यह गुरु शिष्य की सुन्दर जोड़ी चिरकाल तक जिन शासन की प्रभावना करते हुए मानवता की सेवा करती रहे ।
हाकमचन्द जैन. मन्त्री आत्मज्ञान पीठ, मानसा