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वाणी के जादूगर श्री अमरमुनि जी | ३७
आप तभी से ज्ञान अर्जन में लग गये और हिन्दी संस्कृत व प्राकृत आदि का तथा जैन दर्शन का आपने अच्छा अध्ययन किया और १५ वर्ष की आयु में सोनीपत मण्डी, वि. सम्बत २००८ भाद्र पद, शुदि ५ को साधु दीक्षा अंगीकार की । तब से आप निरन्तर जाग्रति पथ पर आगे ही आगे बढ़ रहे हैं। आप एक सुयोग्य विद्वान हैं। आपके अनेक भक्ति संग्रह प्रकाशित हुए हैं। कुछ सूत्रों (जैन आगमों) का भी सम्पादन किया है ।
आपकी वाणी में इतनी मधुरता है कि जो भी भक्त एक बार आपकी वाणी सुन लेता है वह आपका ही होकर रह जाता है। आपकी प्रवचन शैली भी अत्यन्त रोचक, ज्ञानमयी, एवं ऐसी समन्वयात्मक है कि सभी सम्प्रदाय के लोग आपके प्रवचनों में आते हैं । यही कारण था कि फरीदकोट चातुर्मास में आपको वहाँ के समाज ने 'प्रवचन भूषण' की उपाधि से अलंकृत किया था। जब आपने लुधियाना में चातुर्मासं किया तब आपकी ज्ञान गरिमा को तत्रस्थ उपाध्याय श्री फूलचन्द जी महाराज ने देखा तो आपको 'श्रुतवारिधि' की उपाधि प्रदान की। समाज के कई बिगड़े कार्य सुधरे, वर्षों से पड़ी अम्बाला जैन गर्ल्स हाईस्कूल की बिल्डिंग की योजना को मूर्तरूप दिया गया । सब आपकी प्रवचन शैली व अनुपम व्यक्तित्व का ही प्रभाव था वहाँ की समाज ने और परम पुज्य तपस्वी श्री सुदर्शन मुनिजी महाराज ने आपको 'हरियाणा केसरी' की उपाधि से सम्मानित किया ।
आप प्रारम्भ से ही अपने गुरुदेव श्री भंडारी जी महाराज के साथ रहे । आप स्वभाव से बड़े सरल, निर्मल अन्तःकरण के हैं, आपका हृदय बड़ा ही दयालु और स्नेहमय है । गुणीजनों का आदर करना और दीन-दुःखी पीड़ितों पर करुणा कर उनका उद्धार करना आपकी मानवीय उदार वृत्ति है ।
गुरुदेव श्री भंडारी जी महाराज सदा परोपकार, सेवा और जीवदया धर्म को प्रेरणा देते रहते हैं | आप भी गुरुदेव श्री की प्रत्येक योजना को सफल बनाने में उनको कार्यरूप में परिणत करने में दत्त चित्त रहते हैं ।
आप श्री की प्रेरणा और मार्गदर्शन से पंजाब एवं हरियाणा में स्थान-स्थान पर धर्म स्थानक, वाचनालय, जैन हॉल, विद्यालय भवन, चिकित्सालय आदि की स्थापनाएँ हुई है और बड़े-बड़े लोक-सेवा के कार्य हुए हैं। जिनमें भटिण्डा, पदमपुर, मंडी ( राजस्थान) हनुमान गढ़ ( राजस्थान ) मानसा मंडी, निहालसिंहवाला आदि अनेक नाम गिनाये जा सकते हैं ।
आचार्य पूज्यश्री काशीराम जैन गर्ल्स हाईस्कूल अम्बाला शहर, जैन हाईस्कूल डेरावासी, जैन स्थानक अशोक नगर, यमुनानगर आदि अगणित प्रेरणा स्तम्भ है ।
इस वर्ष जैनाचार्य श्री आत्माराम जी महाराज की जन्म शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है, जिसके प्रेरणा स्रोत भी आप ही है ।
अभी गत वर्ष कुरुक्षेत्र में आपका वर्षावास था, वहाँ जैनों की संख्या तो