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________________ श्रुतधर्म का स्वरूप | ६५ (३) व्यवहारसूत्र-इसमें साधु के आचार-व्यवहार का वर्णन है। (४) निशीथसूत्र-इसमें साधु के संयम में दोष लगने पर विविध प्रायश्चित्तों का विधान है। आवश्यक सूत्र-इसमें सामायिक, चतुर्विशतिस्तव, वन्दना, प्रतिक्रमण, कायोत्सर्ग और प्रत्याख्यान; इन छह आवश्यकों का वर्णन है। नन्दीसूत्र में अंगबाह्य के आवश्यक और आवश्यक-व्यतिरिक्त-ये दो प्रकार बताये हैं। तदुपरान्त आवश्यकव्यतिरिक्त के दो प्रकार और बताये हैं--कालिक और उत्कालिक । इनमें से कालिक सूत्र अनेक प्रकार के बताकर ३६ सूत्रों का नामोल्लेख इस प्रकार किया है-(१) उत्तराध्ययन, (२) दशाश्रतस्कन्ध, (३) बहकल्प, (४) व्यवहारसूत्र, (५) निशीथ, (६) महानिशीथ, (७) ऋषिभाषित, (८) जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, (६) द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, (१०) चन्द्रप्रज्ञप्ति, (११) क्षुद्रविमानविभक्ति, (१२) महाविमानविभक्ति, (१३) अंगचूलिका, (१४) वर्गचूलिका, (१५) विवाह [व्याख्या] चूलिका, (१६) अरुणोपपात, (१७) वरुणोपपात. (१८) गरुडोपपात, (१६) धरणोपपात, (२०) वैश्रमणोपपात, (२१) वेलंधरोपपात, (२२) देवेन्द्रोपपात, (२३) उत्थानश्रु त, (२४) समुत्थानश्रु त, (२५) नागपरितापनिका. (२६) निरयावलिका, (२७) कल्पिका, (२८) कल्पावतंसिका, (२६) पुष्पिका, (३०) पुष्पचूलिका, (३१) वष्णी (वह्नि) दशा, (३२) आशीविषभावना, (३३) दृष्टिविषभावना, (३४) स्वप्नभावना, (३५) महास्वप्नभावना, और (३६) तेजोऽग्नि निसर्ग इत्यादि ।' इसी प्रकार उत्कालिक सूत्रों के भी अनेक प्रकार बताकर २६ नामों का उल्लेख किया है। वे इस प्रकार हैं-(१) दशवैकालिक, (२) कल्पिकाकल्पिक, (३) क्षुद्रकल्पसूत्र, (४) महाकल्पसूत्र, (५) औपपातिक, (६) राजप्रश्नीय, (७) जीवाभिगम, (८) प्रज्ञापना, (९) महाप्रज्ञापना, (१०) प्रमादाप्रमाद, (११) नन्दीसूत्र, (१२) अनुयोगद्वार, (१३) देवेन्द्रस्तव, (१४) तन्दुलवैचारिक, (१५) चन्द्रविजय, (१६) सूर्यप्रज्ञप्ति, (१७) पौरुषीमण्डल, (१८) मण्डलप्रवेश, (१६) विद्याचरणविनिश्चय, (२०) गणिविद्या, (२१) ध्यानविभक्ति, (२२) मरणविभक्ति, (२३) आत्मविशोधि, (२४) वीतरागश्र त, (२५) संल्लेखनाश्रुत, (२६) विहारकल्प, (२७) चरणविधि, (२८) आतुरप्रत्याख्यान, और (२६) महाप्रत्याख्यान इत्यादि । १ नन्दीसत्र स. ४३ के अन्तर्गत कालिक सत्राधिकार २ नन्दीसूत्र सू.४३ के अन्तर्गत उत्कालिक सूत्राधिकार
SR No.002475
Book TitleJain Tattva Kalika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1982
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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