SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 338
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २० | जैन तत्त्वकलिका : तृतीय कलिका हो धर्म का शुद्ध मन से आश्रय लेता है, त्यों ही उसके मन में अपूर्व शान्ति, प्रसन्नता, उल्लास, उत्साह और आत्मबल का स्रोत फूट पड़ता है। यहाँ तो धर्म का प्रत्यक्ष फल उसे मिलता ही है । परलोक में भी उसे सुख, समृद्धि, उत्तम गति, कुल आदि प्राप्त होता है । धर्म की महिमा का वर्णन करते हुए दशवकालिक सूत्र में आचार्य शय्यंभव कहते हैं देवावि तं नमसंति जस्स धम्मे सया मणो।' जिसका मन सदैव धर्म में रत रहता है, उसके चरणों में देवता, चक्रवर्ती, शासक, श्रोष्ठी आदि सब नमस्कार करते हैं । दिग्दिगन्त में उसकी यश-कीर्ति और प्रतिष्ठा गूंज उठती है। धर्म की महिमा के सम्बन्ध में एक आचार्य कहते हैं-'धर्म की उचित रूप में आराधना से उच्चकुल में जन्म होता है, स्वस्थ-नीरोग शरीर और पाँचों इन्द्रियों की पूर्णता की प्राप्ति होती है। धर्म से ही सौभाग्य, दीर्घायुष्य, बल, निर्मल यश, विद्या और अर्थ-सम्पत्ति प्राप्त होती है। धर्म का आराधन घोर जंगल में महान् भय उपस्थित होने पर भी उसके आराधक का रक्षण करता है। वस्तुतः ऐसे धर्म की सम्यक प्रकार से उपासना करने पर वह स्वर्ग और अपवर्ग (मोक्ष) सुख-प्रदायक बनता है ।२। शुद्ध धर्म प्राप्ति की दुर्लभता के कारण . . पूर्वोक्त विशेषताओं से युक्त तथा आराध्य कोटि का धर्म-शुद्ध धर्म प्राप्त करना तथा उसकी साधना-आराधना करना बहुत ही दुर्लभ है। उसकी दूर्लभता के कुछ मुख्य कारण' आचार्यों ने बताए हैं, उन पर ध्यान देना आवश्यक है(१) मनुष्य-जन्म धर्म की उत्कृष्ट आराधना, सर्वोच्च साधना मनुष्यगति एवं मानवभव १ (क) दशवकालिक अ.१ गा.१ (ख) 'धर्मो रक्षति रक्षितः' २ धर्माज्जन्म कुले शरीरपटुता सौभाग्यमायुर्बलम्, धर्मेणैव भवन्ति निर्मलयशो विद्याऽर्थसम्पत्तयः । कान्ताराच्च महाभयाच्च सततं धर्मः परित्रायते, धर्मः सम्यगुपासितो भवति हि स्वर्गापवर्गप्रदः ।। ३ लभंति विउले भोए, लभंति सुरसंपया । लभंति पुत्त मित्तं च एगो धम्मो सुदुल्लहो । ४ उत्तराध्ययन अ.३, गा.१ से २१ तक
SR No.002475
Book TitleJain Tattva Kalika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1982
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy