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________________ धर्म के विविध स्वरूप | १५ और एकदा सुख का कारण बनता है, वही दूसरे के लिए या दूसरे समय में दुःख का कारण बन जाता है । और फिर कोई भी वस्तु या व्यक्ति अपने आप में न सुख का कारण है, न स्वयं सुख रूप है, न ही सदा सुख दे सकता है। अज्ञानवश ही मानव बाह्य पदार्थ या व्यक्ति को सख रूप मानता है। इसी प्रकार शरीर में उत्पन्न होने वाले भूख, प्यास, कामसेवन आदि विकारों की क्षणिक शान्ति के उपायों को भी मनुष्य भ्रमवश सुख साधन मान लेता है, किन्तु वास्तव में ये सुख के साधन नहीं हैं । इच्छाओं की पूर्ति होने पर सुख मानने वाले भी भ्रम में हैं। इच्छाओं की पूर्ति में कदापि सुख नहीं है, जो इस सत्य को नहीं समझते, वे इच्छा को न रोक कर (संयम न करके) इच्छा के अनुकुल पदार्थ प्राप्त करके सूखी होने का प्रयत्न करते हैं, किन्तु एक इच्छा के पूर्ण होते. न होते, दूसरी इच्छा पानी की लहर की तरह आ धमकती है, दूसरी पूर्ण नहीं होती, तब तक तीसरी इच्छा उत्पन्न हो जाती है। इस तरह इच्छाओं का प्रवाह बहता ही रहता है। किसी की समस्त इच्छाएं पूर्ण होनी सम्भव नहीं हैं । पुनः-पुनः इच्छा का उत्पन्न होना और उसकी पूर्ति न होना दुःख का कारण है । अतः इच्छाओं का निरोध (तपश्चरण रूप धर्म) करना ही सुख का सच्चा उपाय है । स्वच्छन्दता-निरंकुशता या उच्छखलता को रोकने से ही सच्चा सुख प्राप्त होता है।' सच्चा सुख आत्मस्वाधीनता इन्द्रिय-विषयों के उपभोग द्वारा जो सुख प्राप्त होता है, वह पराधोन और क्षणिक है। भूख लगने पर रुचिकर पदार्थ मिलने से सुख प्रतीत होता है, लेकिन रुचिकर पदार्थ मिलना किसी के वश की बात नहीं, न मिला तो दुःख हुआ, मिल गया किन्तु अचानक शोकजनक पत्र मिलने से उसका उपभोग न कर सकने के कारण दुःख होता है। फिर एक बार भरपेट भोजन कर लेने पर फिर दूसरी बार भूख सताती है, और मनुष्य भोजन के लिए विकल होता है । अतः इस प्रकार से प्राप्त होने वाला सुख वास्तव में सुख ही नहीं है, किन्तु दुःख ही है । सच्चा सुख वह है, जो स्वाधीन हो, तथा जिसे एक बार प्राप्त कर लेने पर फिर दुःख का भय न रहे। ऐसा स्वाधीन १ (क) इच्छानिरोधस्तपः । (ख) छन्दनिरोहेण उवेइ मोक्खं । २ सर्वमात्मवशं सुखम् ।। -उत्तरा. अ.५ गा.८
SR No.002475
Book TitleJain Tattva Kalika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1982
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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