SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 281
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ साधु का सर्वांगीण स्वरूप : २२६ का समय होते ही गुरु से आज्ञा लेकर भिक्षा के लिए जाए और निर्दोष विधि' से यथाप्राप्त आहार लाकर शास्त्रोक्त विधि से आहार करे। इसके अनन्तर फिर ध्यान और शास्त्रचिन्तन करे। दिन के चौथे प्रहर में फिर विधिपूर्वक प्रतिलेखना करे, स्वाध्याय करे और फिर अस्वाध्याय के समय (सन्ध्याकाल) में षडावश्यकयुक्त प्रतिक्रमण करे। अस्वाध्याय काल पूर्ण हो चुकने फिर रत्रि के पहले प्रहर में १ भिक्षाचरी के ४७ दोष-गवेषणा सम्बन्धी १६ उद्गम दोष-(१) आधाकर्म, (२) ओशिक, (३) पूतिकर्म, (४) मिश्रजात, (५) स्थापन, (६) प्राभतिका, (७) प्रादुष्करण, (८) क्रीत, (६) प्रामित्य, (१०) परिवर्तित, (११) अभिहृत, (१२) उद्भिन्न, (१३) मालापहृत, (१४) आच्छेद्य (१५) अनिसृष्ट और (१६) अध्यवपूरक। इन १६ उद्गम दोषों का निमित्त गृहस्थ होता है। . गवेषणा सम्बन्धी १६ उत्पादन दोष--(१) धात्री, (२) दूती, (३) निमित्त (शुभाशुभ निमित्त बताकर), (४) आजीव, (५) वनीपक, (६) चिकित्सा (७) क्रोध (८) मान, (९) माया, १०) लोभ, (११) पूर्व-पश्चात्संस्तव, (१२) विद्या, (१३) मंत्र, (१४) चूर्ण, (१५) योग तथा (१६) मूलकर्म। उत्पादन के दोष साधु की ओर से लगते हैं। इनका निमित्त साधु ही होता है। ग्रहणषणा के : ० दोष-(१) शंकित (२) म्रक्षित (३) निक्षिप्त (४) पिहित (५) संहृत (६) दायक (७) उन्मिश्र (८) अपरिणत (९) लिप्त और (१०) छर्दित (छींटे नीचे पड़ रहे हों, ऐसा आहार लेना) । गृहस्थ और साधु दोनों के निमित्त से ग्रहणैषणा के दोष लगते हैं। ग्रासेषणा (परिभोगेषणा) के पाँच दोष-(१) संयोजना (२) अप्रमाण, (३) अगार (सुवादु भोजन की प्रशंसा करते हुए खाना) (४) धूम (नीरस आहार की निन्दा करते हुए खाना) और (५) अकारण (आहार करने के ६ कारणों के सिवा केवल बलवृद्धि के लिए खाना। इन ४७ दोषों से वर्जित आहार का ग्रहण और सेवन करना एषणा समिति का अंग है। अशनादि चार प्रकार की पिण्डविशुद्धि (जो कि करण का अंग है) का भी इसी में समावेश हो जाता है ।
SR No.002475
Book TitleJain Tattva Kalika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1982
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy