________________
अरिहन्तदेव स्वरूप : ६ε
( १२ ) श्रीकृष्ण का जीव 'अमम' नामक बारहवाँ तीर्थंकर होगा । (१३) सुज्येष्ठजी का पुत्र, सत्यकीरुद्र का जीव नरक से आकर तेरहवाँ 'श्री निष्कषाय' नामक तीर्थंकर होगा ।
(१४) श्रीकृष्ण के भ्राता बलभद्रजी का जीव पाँचवें देवलोक से आकर 'श्री निष्पुलाक' नामक चौदहवाँ तीर्थंकर होगा ।
(१५) राजगृह के धन्ना सार्थवाह की बान्धवपत्नी सुलसा श्राविका का जीव देवलोक से आकर 'श्री निर्मम' नामक पन्द्रहवाँ तीर्थंकर होगा ।
(१६) बलभद्रजी की माता रोहिणी का जीव देवलोक से आकर 'श्री चित्रगुप्त' नामक सोलहवें तीर्थंकर के रूप में उत्पन्न होगा ।
( १७ ) कोल्हापाक बहराने वाली रेवती गाथापत्नी का जीव देवलोक से आकर सत्रहवाँ तीर्थंकर 'श्री समाधिनाथ' होगा ।
(१८) शततिलक' श्रावक का जीव देवलोक से आकर 'श्री संवरनाथ' नामक अठारहवाँ तीर्थंकर होगा ।
(५) द्वारिका नगरी को दग्ध करने वाले द्वपायन ऋषि का जीव देवलोक से आकर उन्नीसवाँ तीर्थंकर 'श्री यशोधर' होगा ।
(२०) कर्ण का जीव देवलोक से आकर 'श्री विजय' नाम का बीसवाँ तीर्थंकर होगा ।
(२१) निग्रन्थपुत्र ( मल्ल नारद) का जीव देवलोक से आकर 'श्रीमल्यब्रेव' नामक इक्कीसवाँ तीर्थंकर होगा ।
(२२) अम्बड श्रावक का जीव देवलोक से आकर 'श्री देवचन्द्र' के रूप में बाईसवाँ तीर्थंकर होगा ।
(२३) अमर का जीव देवलोक से आकर 'श्री अनन्तवीर्य' नामक तेईसवें तीर्थंकर के रूप में होगा ।
(२४) शनक का जीव सर्वार्थसिद्ध विमान से आकर चौबीसवाँ तीर्थंकर 'श्री भद्र ंकर' होगा ।
१ कोई-कोई गांगुली तापस को भी शततिलक कहते हैं । तत्त्वं केवलिगम्यम् ।
सं०
२ इस कर्ण को कोई कौरवों का साथी कर्णराजा और कोई चम्पापुरीपति वासुपूज्यजी के परिवार को मानते हैं ।
३ कोई-कोई इसे रावण युग के नारद के जीव मानते हैं ।
४
यह उववाईसूत्र वर्णित अम्बड नहीं है, किन्तु सुलसा श्राविका की सम्यक्त्व - दृढ़ता की परीक्षा लेने वाला अम्बड परिव्राजक है ।