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________________ निर्लेप होने का सरल विज्ञान ४६ जिन कर्मों से आत्मा अशुभबन्ध करती है, वे पाप-प्रवृत्तियां पापकर्म कहलाती हैं। वे कूल अठारह हैं। तीन का यहाँ उल्लेख किया गया है। शेष पापस्थानों के नाम इस प्रकार हैं-असत्य, अस्तेय, मैथुन, मान, माया, लोभ, राग, द्वेष, कलह, अभ्याख्यान, पैशुन्य, परपरिवाद, रति-अरति, माया-मृषा और मिथ्यादर्शन। . इन पापकर्मों के बीजरूप दो पापस्थान हैं-राग और द्वष । आत्मा इन पाप कर्मों से कैसे लिप्त होता है, इसकी प्रक्रिया बताते हुए ऋषि देवल कहते हैं -आत्मा में जब भी राग-द्वेष के परिणाम आयेंगे, तभी द्रव्यकर्म आकर्षित होते हैं और हिंसा आदि पापस्थानों के निमित्त भी रागद्वेष ही हैं । हिंसा, परिग्रह आदि की वृत्ति भी आत्मा को पापकर्म से लिप्त करने वाली है। साधक की जब पदार्थों के प्रति आसक्ति होती है, तब वही गृहस्थों के साथ संसर्ग और संग के लिए उसे प्रेरित करती है । जैसे कि देवल ऋषि कहते हैं जहा खीरं पधाणं तु मुच्छणा जायते दधि । एवं गेहिप्पदोसेण पावकम्मं पवड्ढति ॥८॥ ___ -जैसे श्रेष्ठ दूध भी दही के संसर्ग से दूध के पर्याय को छोड़कर दही बन जाता है, वैसे ही गृहस्थों के संसर्ग-दोष से मुनि भी पापकर्म में लिप्त हो जाते हैं । गृहस्थों के प्रति ममत्व से ही साधक धनसंग्रह करता है और एक के बाद एक पापकर्मों से लिप्त होता जाता है। कषायों में प्रकट और उत्कट क्रोध कषाय है। कई बार उच्च साधक भी क्रोधादि कषायों को भड़काते हैं । साम्प्रदायिक वैमनस्य, कलह, एक-दूसरे को या दसरे के सम्प्रदाय को नीचा दिखाने, बदनाम करने. झूठी निंदा करने, वैरभाव को उभारने, आदि चेष्टाएँ भी उच्च कोटि के साधकों द्वारा होती है। इस प्रकार आत्मा भयंकर पापकर्मों से लिप्त होती है। इसके अतिरिक्त लिप्त और अलिप्त का लक्षण तथा फल बताते हुए उत्तराध्ययन सूत्र में कहा है उवलेवो होइ भोगेसु, अभोगी नोवलिप्पई। भोगी भमइ संसारे, अभोगी विप्पमुच्चइ ॥ ___ --जो मनुष्य भोगी है-पंचेन्द्रिय विषय-भोगों में आसक्त है, वही कर्मफल से लिप्त होता है, अभोगी लिप्त नहीं होता। भोगी संसार में परिभ्रमण करता है, जबकि अभोगी-भोगों में अनासक्त संसार-बन्धन से मुक्त हो जाता है।
SR No.002473
Book TitleAmardeep Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1986
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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