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________________ १ ऋषिभाषितसूत्र : एक अमर दीपक है धर्मप्रेमी बन्धुओ ! आप लोग बड़ी उत्सुकता और जिज्ञासा लिये आज यहाँ शास्त्र सुनने के लिए उपस्थित हुए हैं । अतः मैं आज से आपको ऋषिभाषित सूत्र पर अपना प्रवचन सुनाना चाहूँगा । चातुर्मास में यह प्रवचन - माला लगातार कई दिनों तक चलेगी और आपको इससे जीवन की अनेक बहुमूल्य उपयोगी बातें भी सुनने को मिलेंगी। मैं प्रायः प्रतिवर्ष ही चातुर्मास ऋषिभाषितसूत्र को आधार बनाकर प्रवचन करता हूँ । मुझे तो यह सूत्र एक महान जीवन - दीपक जैसा लगता है। ऋषियों के अनुभव जीवन की गहरी अनुभूतियों पर टिके हैं । और ये अनुभव सूत्र हमारे, जीवन में भी प्रकाश दे सकते हैं, जीवन यात्रा के अमर दीपक बन सकते हैं । ऋषिभाषित सूत्र : कौनसा सूत्र ? आप शायद चौंककर यह कहेंगे कि यह 'ऋषिभाषित-सूत्र' कौनसासूत्र है ? हमने बत्तीस आगमों के नाम तो सुने हैं । उनमें तो यह नाम नहीं है; तो क्या यह कोई तेतीसवाँ नया शास्त्र है ? जिसे महाराजश्री ने खोज निकाला है ? बंधुओ ! ऐसी बात नहीं है । वैसे देखा जाए तो बत्तीस सूत्रों में इस शास्त्र का समावेश तो नहीं है । किन्तु 'नन्दी - सूत्र' में जहाँ कालिक सूत्रों की नामावली दी है, वहाँ सातवें नम्बर में इस सूत्र का नाम आया है । सुनिये नन्दीसूत का वह पाठ "से किं तं कालियं ?" "कालियं अणेगविहं प० तं जहा - उत्तरज्झयणं, दसाओ, कप्पो, ववहारो, निसी, महानिसी, इसि भासियाइं ...........,” अर्थात्- ( पूछा गया है) - भगवन् ! वह कालिक श्रुत कौन-सा है ? उत्तर- कालिक सूत्र अनेक प्रकार का कहा गया है । वह इस प्रकार
SR No.002473
Book TitleAmardeep Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1986
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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