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________________ १६ जीवन की सुन्दरता दो प्रकार के जीवन धर्मप्रेमी श्रोताजनो ! संसार में दो प्रकार के व्यक्ति आते हैं। एक-दूसरों को दबा सता कर, सत्ता के जोर से दूसरों को कुचल कर, अन्याय-अत्याचार करके, अथवा शोषण करके फलते-फूलते हैं, आगे बढ़ते हैं। जनता उनके समक्ष नतमस्तक होती है, उनकी जय-जयकार करती है । दूसरे - ऐसे व्यक्ति आते हैं, जो न्याय, नीति और धर्मपूर्वक अपना जीवन-यापन करते हैं । दूसरों के प्रति सहानुभूति, दया, क्षमा, सेवा, समता, करुणा, आत्मोपम्य का भाव रखकर जीते हैं । ऐसे लोग दूसरों के हृदय पर शासन करते हैं, उनके सम्पर्क में आने वाले लोग उन्हें प्रणाम, वन्दन नमन करते हैं, उनके गुणगान करते हैं, परन्तु वे किसी से ऐसी अपेक्षा नहीं करते । वे प्रशंसा करने वालों पर राग और निन्दा करने वालों या उपेक्षा करने वालों के प्रति द्व ेषभाव नहीं रखते । वे अपना जीवन संतोषवृत्ति से सुखपूर्वक बिताते हैं । वे कोई भी ऐसा कार्य नहीं करते जिससे दूसरों को · कष्ट हो, वे अन्याय-अत्याचार या दमन से पीड़ित हों । 1 आपसे पूछा जाए कि आप कौन-सा जीवन पसन्द करते हैं ? आप शायद दूसरे प्रकार का जीवन ही पसन्द करेंगे। लेकिन उसके लिए आपको स्वयं पुरुषार्थ करना होगा । अपने परिवार और समाज में वैसा वातावरणवैसी ही शिक्षा-दीक्षा और संस्कार का माहौल बनाना होगा । सौन्दर्यपूर्ण जीवन का रहस्य जैन संस्कृति में 'जैन' शब्द में भी विजय का स्वर निहित है, परन्तु - किस पर ? यहाँ बाह्य विजय नहीं, जनता के हृदय पर विजय, जनता के
SR No.002473
Book TitleAmardeep Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1986
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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