SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 132
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जन्म और कर्म का गठबन्धन १०७ कम्ममूलमनिव्वाणं. संसारे सव्वदेहिणं । ... कम्ममूलाई दुक्खाई, कम्ममूलं च जम्मणे ॥१॥ "संसार के समस्त देहधारियों का भवभ्रमण (अनिर्वाण) कर्मजन्य है, समस्त दुःखों का मूल कर्म है और जन्म भी कर्म का ही मूल है।" निष्कर्ष यह है कि चारगति रूपी संसार में जन्म लेना ही दुःख रूप है। जन्म के साथ ही भूख, बीमारी, शोक, वियोग, बुढ़ापा, और मृत्यु आदि के दुःख जुड़े हुए हैं। ___ कोई यह कहे कि मेरे पास सोना-चाँदी प्रचुर मात्रा में है, धन भी बहुत है, अनेक नौकर-चाकर हैं, मेरा भरा-पूरा परिवार, शरीर भी स्वस्थ एवं सुन्दर है, अनेक स्वजन सम्बन्धी हैं, चल-अचल सम्पत्ति भी अधिक है, सुख पूर्वक जीवन जीने के एक-से एक बढ़कर साधन हैं, फिर मुझे कर्म कैसे कष्ट दे सकते हैं ? किन्तु भाई ! कुदरत का नियम है-पापकर्म जब उदय में आते हैं. तब धनी हो या निर्धन, विद्वान् हो या अविद्वान्, राजा हो या रंक, स्वस्थ हो या रोगी; किसी को नहीं छोड़ते। यह तो मनुष्य का झूठा गर्व है कि कर्म मेरा क्या कर सकते हैं ? पापकर्म जब फल देने आते हैं, तब चाँदी, सोना, रत्न आदि कितने ही लुटा दे, वह फलभोग से बच नहीं सकता। भगवान् महावीर जैसे दीर्घतपस्वी को पूर्वकृत पापकर्म के फलस्वरूप कानों में कील ठोके गए, पैरों पर खीर पकाई गई, अनार्य पुरुषों ने घोर कष्ट दिये। सीता, अंजना, दमयन्ती आदि सतियों को पूर्वकृत अशुभ कर्म के उदयवश घोर कष्ट एवं यातनाएँ सहनी पड़ीं। स्कन्दक मुनि को अपने पूर्वकृत पापकर्म के फलस्वरूप मरणान्तकष्ट मिला । उसमें निमित्त बना उनका ही बहनोई राजा। अतः चाहे कोई तीर्थंकर हो, साधु-साध्वी हो, सती हो या शासक हो, धनिक हो या विद्वान् हो; कर्म किसी प्रकार की रियायत नहीं करते। कहा भी है यह कर्मों का फल तो पाना पड़ेगा, चाँदी लुटाले, चाहे सोना बहाले, किस्मत का लिखा दुःख तो उठाना पड़ेगा ।। न कर्मों के आगे, कोई पेश चलती; कर्मों की रेखा, टाले न टलती। यह हिसाब तो हँसके या रोके, सबको चुकाना पड़ेगा ।।१।।
SR No.002473
Book TitleAmardeep Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1986
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy