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अमर दीप
समस्त कर्मों को क्षय करके केवलज्ञानी एवं सिद्ध-बुद्ध- मुक्त तथा अर्हतषि केतलीपुत्र के शब्दों में 'सर्वदुःखविमुक्त' हो गए ।
यह है ग्रन्थ-छेदन का इहभव में सर्वोत्तम उपाय ज्ञान और चारित्र का संगम । परभव में तो कदाचित् तिर्यञ्च देव यां नरकगति में जाने पर चारित्र का मिलना तो अत्यन्त दुर्लभ है । वहाँ तो सम्यग्ज्ञान की शक्ति है, जिसके द्वारा देव आदि पुण्यवृद्धि कर सकते हैं, सर्वकर्मक्षय नहीं । आपको भी ज्ञान और चारित्र के द्वारा ग्रन्थ छेदन का अवसर मिला है, इस उपाय को जीवन में अपनाइये और दुःखों से मुक्त बनिये ।