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49, बौद्ध-योग 50, योग-वियोग-अयोग 51, भारतीयेतर दर्शनों में योग 53, पाश्चात्य योग-मेस्मेरिज्म तथा हिप्नोटिज्म 53 । 5. जैन योग का स्वरूप
56-92 योग का लक्षण 56, मन की अचंचलता आवश्यक 60, मन के प्रकार 61, चित्त की भूमिकाएं 61, योग संग्रह 62, गुरु का महत्व 64, योगाधिकारी के भेद 64, (1) चरमावर्ती साधक 64, (2) अचरमावर्ती साधक 64, आत्म-विकास के क्रम में जीव की स्थितियाँ 65, (1) अपुन-बंधक 65, (2) सम्यग्दृष्टि 65, (3) देशविरत 65, (4) सर्वविरति 65, चित्त-शुद्धि के प्रकार 67, योग के अनुष्ठान 68, योग के पाँच भेद 69, अन्य अपेक्षा से योग के तीन प्रकार 69, योगदृष्टियाँ 70, (1) मित्रा दृष्टि 71, (2) तारादृष्टि 71, (3) बलादृष्टि 72, (4) दीप्रादृष्टि 72, (5) स्थिरादृष्टि 73, स्थिरादृष्टि के दो प्रकार 73, (6) कान्तादृष्टि 74, (7) प्रभादृष्टि 75, (8) परादृष्टि 75, योगियों के भेद. 76, (1) कुलयोगी 76, (2) गोत्रयोगी 77, (3) प्रवृत्तचक्रयोगी 77, प्रवृत्तचक्रयोगी के गुण 77, तीन योगावंचक 78, (4) निष्पन्न योगी 78, जैन योग और कुण्डलिनी 78, आध्यात्मिक दृष्टि से जैन योग के भेद 81, (1) अध्यात्मयोग 82, (2) भावनायोग 83, बारह वैराग्य भावनाएं 84, (3) ध्यानयोग 86, (4) समतायोग 87, (5) वृत्तिसंक्षययोग 88, योग का महत्त्व 90 । योगजन्य लब्धियाँ
93-102 __वैदिक योग में लब्धियां 94, योगदर्शनसम्मत लब्धियां 94, बौद्धदर्शन में लब्धियां 95, जैनयोग और लब्धियां 96, प्रवचनसारोद्धार में निरूपित 28 लब्धियों का परिचय'97, लब्धियों के तीन वर्ग 100। (2) अध्यात्म योग साधना
103-314 1. योग की आधारभूमि : श्रद्धा और शील (1)
103-127 (गृहस्थयोगी के साधना-सोपान)
श्रद्धा का महत्त्व 103, 'सम्यग्दर्शन' शब्द का अर्थ 103, सम्यग्दर्शन : स्वरूप और महत्त्व 104, सम्यग्दृष्टि के पाँच बाह्य विशिष्ट लक्षण 105, सम्यग्दर्शन के पच्चीस मल-दोष 106, त्यागवृत्ति 107, भावशुद्धि 108, सम्यक्ज्ञान 108, सम्यक्ज्ञान के दोष 108, सम्यक्चारित्र 109, सम्यक्चारित्र के दो भेद 109, आगार-चारित्र 110, आगार चारित्र के दो भेद 118, मार्गानुसारी के पैंतीस गुण 110, गृहस्थ का विशेष धर्म 112, व्रतों का चार प्रकार का अतिक्रमण 112, अणुव्रत 113, (1) स्थूल प्राणातिपातविरमण 113, भावहिंसा और द्रव्यहिंसा 113, चार प्रकार की हिंसा 114, इस व्रत के पाँच अतिचार 114, (2) स्थूल मृषावादविरमण 115, पाँच प्रकार के महान असत्य 115, इस व्रत के पाँच
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